रांची: झारखंड में राज्य बाल संरक्षण संस्थान (State Institute of Child Protection in Jharkhand) कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के (Children’s Foundation) साथ मिलकर 16 अक्टूबर से सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत अभियान (Safe Bachpan Safe India’ campaign ) शुरू करेगा।
आंगनबाड़ी भवन, पंचायत भवन, बाल देखरेख संस्था के अन्य विशेष जगहों पर दीप जलाकर योजना का आरंभ होगा। इसको लेकर राज्य सरकार ने (State Goverment) सभी जिलों के DC को पत्र भी जारी किया है।
विवाह मुक्त करने की शपथ दिलाई
यह अभियान गांव की महिलाओं की अगुवाई में चलेगा, जिसमें महिलाओं के द्वारा स्थानीय सरपंच, वार्ड पंच और प्रधान का सहयोग लेते हुए गांव में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को (Child Marriage Free India Campaign) लेकर जागरुकता रैली निकाली जाएगी, जिसमें ग्रामीणों को गांव में बाल विवाह मुक्त करने की शपथ दिलाई जाएगी।
बाल विवाह के खिलाफ एकजुटता
बाल श्रम, बाल विवाह बाल हिंसा (Child Marriage Child Violence) जैसे मुद्दों पर कार्यरत नोबल पुरस्कार प्राप्त सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने देश के नागरिकों से अपील की है कि 16 अक्टूबर को शाम पांच बजे अपने आसपास किसी सार्वजनिक स्थल पर एकत्रित होकर एक दीपक या मोमबत्ती जलाकर बाल विवाह के (Child Marriage) खिलाफ एकजुटता का परिचय दें।
झारखंड बाल विवाह के मामले में अव्वल
केंद्रीय गृह मंत्रालय के नवीनतम जनसांख्यिकी नमूना सर्वेक्षण 2020 के (Latest Demographic Sample Survey of Union Home Ministry) अनुसार जादू टोना हत्याओं के (Murder) लिए बदनाम झारखंड में कम उम्र की लड़कियों की शादी का (Girls Wedding) प्रतिशत सबसे अधिक है।
झारखंड में 5.8 फीसदी लड़कियों की शादी युवा होने से पहले हो जाती है। राज्य में जितने बाल विवाह होते हैं, उनमें से 7.3 ग्रामीण इलाकों में जबकि तीन फीसदी शहरी क्षेत्रों में होते हैं। झारखंड में 54.6 फीसदी बेटियों की शादी 21 साल की उम्र से पहले हो जाती है।
कानून का सख्ती से पालन करवाया
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन (KCF) ने बाल विवाह मुक्त भारत अभियान में (Free India Campaign) जुटी स्वयंसेवी संस्थाओं ने झारखंड की इस स्थिति पर चिंता जाहिर की है।
साथ ही सरकार से अपील की कि बाल विवाह रोकने के लिए कानून का सख्ती से पालन (Strict Adherence to The Law) करवाया जाए, ताकि अपराधियों के मन में खौफ पैदा हो और बाल विवाह को खत्म किया जा सके।
NCRB के अनुसार प्रदेश में साल 2019 में तीन, साल 2020 में तीन और साल 2021 में चार मामले ही बाल विवाह के दर्ज किए गए। इससे स्पष्ट है कि बाल विवाह के मामलों की पुलिस में शिकायत ही नहीं की जा रही है।