दिल्ली: Supreme Court (उच्चतम न्यायालय) 1995 में पंजाब (Panjab) के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (CM Beant Singh) की हत्या (Murder) मामले में फांसी की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) की सजा कम करने की उसकी याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगा।
मामले की सुनवाई गुरुवार को
मुख्य न्यायाधीश यू. यू. ललित (U.U. Lalit) की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को राजोआना का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह इस मामले की गुरुवार को सुनवाई करेगी।
श्री रोहतगी ने पीठ के समक्ष अनुरोध करते हुए कहा कि राजोआना मृत्युदंड को कम करने के मामले में ‘न्यायिक देरी’ (Judicial Delay) के कारण पीड़ित है।
गुरु नानक जयंती पर कोई रिहाई नहीं होगी
शीर्ष अदालत के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, “यह आदमी (रजोआना) केवल देरी के कारण पीड़ित है। उसकी (रजोआना की) मौत की सजा (Death Penalty) को कम की जानी है।
अब पंजाब सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि पंजाब (Panjab) एक सीमावर्ती राज्य है। इसलिए गुरु नानक जयंती (Gurunanak Jayanti) पर कोई रिहाई नहीं होगी।”
मौत की सजा आजीवन कारावास में बदलने का अनुरोध
मृत्युदंड के बाद 10 साल सहित 26 सालों से जेल (Jail) की सजा काटने रहे राजोआना ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी मौत की सजा आजीवन कारावास (Life Imprisonment) में बदलने का अनुरोध किया है।
केंद्र सरकार ने 2019 में गुरु नानक (Gurunanak) की 550 वीं जयंती के अवसर पर राजोआना (Rajoana) समेत आठ अन्य दोषियों की सजा में छूट देने की घोषणा की थी।
इसी घोषणा के आधार पर राहत की उम्मीद लेकर 2020 में एक रिट याचिका दायर की थी।
वर्ष 1995 में चंडीगढ़ सचिवालय (Digarh Secretariat) के पास हुए बम धमाकों (Bomb Blasts) में बेअंत सिंह समेत 18 लोगों की मौत (Death) हो गई थी।