नई दिल्ली: Himachal Pradesh (हिमाचल प्रदेश) के लिए भाजपा ने भी अपना घोषणा पत्र (BJP Released Manifesto) जारी कर दिया है।
भाजपा (BJP) के घोषणा पत्र में वादा किया गया है कि सत्ता में आने पर भाजपा हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) या समान नागरिक संहिता लागू करेगी।
इसके लिए एक कमेटी बनाई जाएगी, जिसकी सिफारिशों के आधार पर यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) लागू किया जाएगा।
इससे पहले उत्तराखंड और गुजरात की भाजपा सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने की घोषणा की थी।
राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं
इसके साथ ही, भाजपा शासित कई और राज्यों के मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि इसे कानून के दायरे में कैसे लाया जाएगा, इस पर परामर्श लिया जा रहा है।
यह जानना जरूरी है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) है क्या और कौन कौन राज्य इसे लागू करना चाहते हैं? गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला लिया है।
29 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक में सीएम पटेल ने यह फैसला लिया था। समिति का गठन हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में किया जाएगा।
गुजरात के CM भूपेंद्र पटेल ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कमेटी बनाने का फैसला ऐसे समय पर लिया है, जब राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
6 माह में रिपोर्ट सीएम को सौंपने के लिए कहा
इसी साल 27 मार्च को उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने Supreme Court की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समान नागरिक संहिता को लेकर 5 सदस्यीय समित का गठन किया था।
समिति ने समान नागरिक संहिता पर रायशुमारी के लिए 8 सितंबर को Website Launch की थी। इसके अलावा, लोगों से डाक और ईमेल के माध्यम से भी सुझाव मांगे गए थे।
उत्तराखंड में समिति को लिखित रुप से मिले सुझावों की संख्या साढ़े तीन लाख से ज्यादा बताई जा रही है। डाक, ईमेल और ऑनलाइन सुझावों की मिलाकर यह संख्या साढ़े चार लाख से ज्यादा बताई जा रही है। समिति से 6 माह में रिपोर्ट सीएम को सौंपने के लिए कहा गया था।
याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल किया
उल्लेखनीय है कि इसी माह की शुरुआत में केंद्र सरकार ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था।
इस हलफनामे में कहा गया कि केंद्र सरकार संसद को समान नागरिक संहिता पर कोई कानून बनाने या उसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने, विवाह, तलाक, रखरखाव और गुजारा भत्ता को विनयमित करने वाले व्यक्तिगत कानूनों में एकरूपता की मांग की गई थी। केंद्र सरकार (Central Government) ने इसी याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल किया था।
धारा 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले
गुजरात सरकार (Gujarat Government) के फैसले के बाद समान नागरिक संहिता की एक बार फिर चर्चा हो रही है। पिछले दिनों गृहमंत्री (Home Minister) अमित शाह ने भोपाल दौरे के दौरान इस कानून को लाने का संकेत दिया था।
भाजपा (BJP) कोर कमेटी की बैठक में शाह ने कहा कि सीएए, धारा 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले हो गए हैं और कॉमन सिविल कोड (Common Civil Court) की बारी है।