रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में मंगलवार को सहायक अभियंता नियुक्ति से संबंधित प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण देने से संबंधित मामले (Reservation Matters ) में एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई।
मामले में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र (Affidavit) दाखिल करने के लिए दो सप्ताह की मांग की गई है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर निर्धारित की है।
कोर्ट ने मामले में सफल अभ्यर्थियों को भी प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया। साथ ही राज्य सरकार पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। JPSC की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल, राकेश रंजन और प्रिंस कुमार ने पैरवी की।
कोर्ट ने पूर्व में सरकार से पूछा था कि कोटि और कोटा में क्या अंतर है। इस पर राज्य सरकार को शपथ पत्र दाखिल करने को कहा गया था लेकिन सरकार की ओर से समय की मांग की गई थी।
मामले में जेपीएससी का कहना है कि प्रारंभिक परीक्षा में रिजर्वेशन नहीं दिया गया है। एकल पीठ ने भी JPSC की दलील को सही मानते हुए प्रार्थी की याचिका खारिज कर दी है।
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी की ओर से पीटी परीक्षा में आरक्षण दिए जाने को गलत बताते हुए एकल पीठ में इससे पहले रिट दायर (Writ Filed) की गई थी।
PT परीक्षा में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं
उनकी ओर से कहा गया था कि सहायक अभियंता नियुक्ति से संबंधित पीटी परीक्षा में आरक्षण देना गलत है। उनकी ओर से PT का संशोधित रिजल्ट या उसे Cancelled करने का आग्रह किया गया था, जिसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया था और अब इसे खंडपीठ में चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता भास्कर ने इस मामले में याचिका दायर कर कहा है कि सहायक अभियंता की नियुक्ति में कोटिवार रिजल्ट (Category Wise Result) जारी किया गया है।
वहीं, आरक्षित श्रेणी के कुछ अभ्यर्थियों को आरक्षण देते हुए सामान्य श्रेणी में रखा गया है जबकि PT परीक्षा में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।