ग्वालियर: भारतीय शास्त्रीय संगीत (Indian Classical Music) के क्षेत्र में देश (India) के सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण महोत्सव (Most Prestigious Festival) तानसेन समारोह (Tansen Ceremony) की सोमवार सुबह पारंपरिक ढंग से शुरुआत हुई।
हजीरा स्थित सुर सम्राट तानसेन (Samrat Tansen) की समाधि स्थल पर शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन हुआ।
सर्द मौसम (Chilly Weather) में सोमवार की प्रात: बेला में तानसेन समाधि स्थल (Tansen Samadhi Sthal) पर परंपरागत ढंग से उस्ताद मजीद खां एवं साथियों ने रागमय शहनाई वादन किया।
इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत सच्चिदानंद नाथ ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तों को उजागर किया। ढोली बुआ महाराज ने राग बैरागी में कबीर रचित भजन प्रस्तुत किया।
ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा के बाद मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) से मौलाना इकबाल लश्कर कादिरी ने इस्लामी कायदे के अनुसार मिलाद शरीफ की तकरीर सुनाई।
अंत में हजरत मौह मद गौस व तानसेन की मजार पर राज्य सरकार की ओर से सैयद जियाउल हसन सज्जादा नसीन द्वारा परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गई।
इससे पहले जनाब फरीद खानूनी, जनाब भोलू झनकार,जनाब लतीफ खां, जनाब अल्लाह रक्खा एवं उनके साथी कव्वाली गाते हुए चादर लेकर पहुंचे।
तानसेन समारोह का इस साल 98वां वर्ष
तानसेन (Tansen) समाधि पर परंपरागत ढंग से आयोजित इस कार्यक्रम में अपर कलेक्टर एचबी शर्मा, SDM प्रदीप सिंह तोमर और विनोद सिंह सहित अन्य कलारसिक, उस्ताद अलाउद्दीन खाँ कला एवं संगीत अकादमी के अधिकारी उपस्थित थे।
सुर सम्राट तानसेन (Samrat Tansen) की स्मृति में आयोजित तानसेन समारोह का इस साल 98वां वर्ष है। इसका औपचारिक शुभारंभ एवं तानसेन अलंकरण समारोह सायंकाल 7.00 बजे हजीरा स्थित तानसेन समाधि परिसर में चैन्नाकेशव मंदिर बेलूर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर होगा।
इसी मंच पर बैठकर देश और दुनिया के ब्रह्मनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे।