मुंबई: केंद्रीय वित्त मंत्री (Union Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को देश का बजट (Budget) पेश करेंगी।
महिलाओं को उम्मीद है कि बजट में बिजनेस (Business) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर होगा। RBI के सर्वे के मुताबिक देश में सिर्फ 14 फीसदी MSME हैं जिनकी मालिक महिलाएं हैं।
वहीं 5.9 फीसदी स्टार्ट्अप्स महिलाओं (Startups Women) के हैं। इसके अलावा जेंडर बजट (Gender Budget) को भी बढ़ाने की भी मांग हो रही है।
टैक्स स्लैब में छूट व्यक्ति की आयु के मुताबिक लागू होनी
वित्त अधिनियम 2012 (Finance Act 2012) ने महिलाओं के लिए टैक्स स्लैब (Tax Slab) में अंतर को खत्म कर दिया था और एक समान टैक्स स्लैब लागू किया था जो पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए समान था।
साल 2012 तक महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले थोड़ा ज्यादा टैक्स बेनिफिट मिलता था। विशेषज्ञों के मुताबिक वर्किंग महिलाओं के भविष्य के बारे में सोचते हुए उन्हें ज्यादा टैक्स बेनिफिट (Tax Benefit) मिलना चाहिए।
जानकारों के मुताबिक टैक्स स्लैब में छूट व्यक्ति की आयु के मुताबिक लागू होनी चाहिए न कि लिंग के हिसाब से।
इनकम टैक्स स्लैब रेट्स में एक समान छूट आज के जमाने के एक महत्वपूर्ण मांग है
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महिला जानकार ने बताया कि इनकम टैक्स स्लैब रेट्स (Income Tax Slab Rates) में एक समान छूट आज के जमाने के एक महत्वपूर्ण मांग है।
वहां कहती हैं वित्त मंत्री सबकी मांग को पूरा करने की जगह शायद ये लाभ सिर्फ महिलाओं को ही दें। भले ही महिलाओं की सेविंग्स करने की क्षमता पुरुषों के मुकाबले ज्यादा अच्छी है। ये बजट शायद महिलाओं को वित्तीय रूप से मजबूत बनाएगा।
उज्ज्वला योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के साथ भारत के दृष्टिकोण और महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के नेतृत्व में प्रयास को ध्यान में रखते हुए महिला जानकार ने कहा ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ ‘सुकन्या समृद्धि अकाउंट’ और ‘सैनिक स्कूल’ जैसी उच्च योजनाएं हैं जहां न सिर्फ महिलाओं को टैक्स में छूट मिलती है बल्कि देश का विकास भी होता है।