नई दिल्ली: राष्ट्रपति (President) द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने बुधवार को 74वें गणतंत्र दिवस (Republic Day) की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि हम सितारों तक पहुंचकर भी अपने पांव ज़मीन पर रखते हैं।
उन्होंने भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान (Manned Space Mission) का उल्लेख करने के साथ ही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के जरिए आम आदमी के जीवन को बेहतर बनाने की भारत की विकास यात्रा की चर्चा की।
भारत सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है
उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों के बीच भी भारत की प्रगति उत्साहजनक रही है। देश दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (Economy) बन गया।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से भारत की अर्थव्यवस्था को भी काफी क्षति पहुंची, फिर भी सक्षम नेतृत्व और प्रभावी संघर्षशीलता के बल पर हम मंदी से बाहर आ गए, और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू किया।
भारत सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह सरकार द्वारा समय पर किए गए सक्रिय प्रयासों से ही संभव हो पाया है।
इस संदर्भ में ”आत्मनिर्भर भारत” अभियान के प्रति जनसामान्य (Folks) के बीच विशेष उत्साह देखा जा रहा है। इसके अलावा, विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं (Incentive Plan) भी लागू की गई हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि महामारी (Pandemic) से सबसे अधिक प्रभावित हुए गरीब लोगों की सहायता के लिए सरकार ने विशेष प्रयास किये। Corona महामारी के दौरान भी किसी को भी खाली पेट नहीं सोना पड़ा।
गरीब परिवारों के हित को सर्वोपरि रखते हुए इस योजना की अवधि को बार-बार बढ़ाया गया तथा लगभग 81 करोड़ देशवासी लाभान्वित होते रहे।
इस सहायता को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने घोषणा की है कि वर्ष 2023 के दौरान भी लाभार्थियों को उनका मासिक राशन मुफ्त में मिलेगा।
इस ऐतिहासिक कदम से सरकार ने कमजोर वर्गोंं को आर्थिक विकास में शामिल करने के साथ, उनकी देखभाल की ज़िम्मेदारी भी ली है।
शिक्षा के दो प्रमुख उद्देश्य कहे जा सकते हैं..
उन्होंने देश की विकास यात्रा में शिक्षा प्रणाली की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा अंतिम लक्ष्य एक ऐसा वातावरण बनाना है जिससे सभी नागरिक व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से, अपनी वास्तविक क्षमताओं का पूरा उपयोग करें और उनका जीवन फले-फूले।
इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ में महत्वाकांक्षी परिवर्तन किए गए हैं। शिक्षा के दो प्रमुख उद्देश्य कहे जा सकते हैं। पहला, आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण और दूसरा, सत्य की खोज।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन दोनों लक्ष्यों को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है। यह नीति शिक्षार्थियों को इक्कीसवीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करते हुए हमारी सभ्यता पर आधारित ज्ञान को समकालीन जीवन के लिए प्रासंगिक बनाती है।
इस नीति में, शिक्षा प्रक्रिया को विस्तार और गहराई प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया है।
“जय-जवान, जय-किसान, जय-विज्ञान और जय अनुसंधान” की भावना से ओत-प्रोत होकर देश आगे बढ़ा रहा है
दुनिया में भारत के बढ़ते हुए महत्व और प्रभाव का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व के विभिन्न मंचों पर हमारी सक्रियता से सकारात्मक बदलाव आने शुरू हो गए हैं।
विश्व-मंच पर भारत ने जो सम्मान अर्जित किया है, उसके फलस्वरूप देश को नए अवसर और जिम्मेदारियां भी मिली हैं। जैसा कि आप सब जानते हैं, इस वर्ष भारत G-20 देशों के समूह की अध्यक्षता कर रहा है।
विश्व-बंधुत्व के अपने आदर्श के अनुरूप, हम सभी की शांति और समृद्धि के पक्षधर हैं। G -20 की अध्यक्षता एक बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान हेतु भारत को अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है।
इस प्रकार, G-20 की अध्यक्षता, लोकतंत्र और अंतरराष्ट्रीय बहुलवाद को बढ़ावा देने का अच्छा अवसर भी है, और साथ ही, एक बेहतर विश्व और बेहतर भविष्य को स्वरूप देने के लिए उचित मंच भी है।
मुझे विश्वास है कि भारत के नेतृत्व में, G-20, अधिक न्यायपरक और स्थिरतापूर्ण विश्व-व्यवस्था के निर्माण के अपने प्रयासों को और आगे बढ़ाने में सफल होगा।
राष्ट्रपति मुर्मू ने देश की विकास यात्रा में महिलाओं, किसानों, मजदूरों, वैज्ञानिकों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि देश की सामूहिक शक्ति “जय-जवान, जय-किसान, जय-विज्ञान और जय अनुसंधान” की भावना से ओत-प्रोत होकर देश आगे बढ़ा रहा है।