नई दिल्ली: चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ जारी सीमा विवादों के बीच भारतीय सेना ने अपनी मारक क्षमता में इजाफा करने और अपने जवानों की जरूरतों के लिए पिछले साल 18,000 करोड़ रुपये खर्च किए।
इसमें सेना की ओर से 5,000 करोड़ रुपये की आपातकालीन खरीदारी भी शामिल है।
भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
सेना प्रमुख ने दिल्ली में सेना दिवस के अवसर अपने संबोधन में कहा, हमने आपातकाल और फास्ट-ट्रैक स्कीम के तहत 38 सौदों में 5,000 करोड़ रुपये की सामग्री खरीदी, जिसमें हथियार और अन्य सामग्री शामिल है।
इसके अलावा, 13,000 करोड़ रुपये की खरीद योजनाओं के अनुबंधों को अंतिम रूप दिया गया।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने भविष्य के लिए 32,000 करोड़ रुपये के खर्च के साथ 29 आधुनिकीकरण परियोजनाओं की पहचान की है।
निजी उद्योग के साथ भारतीय सेना देश में आत्मनिर्भर इको सिस्टम में योगदान करने का भी प्रयास करेगी।
सेना प्रमुख ने कहा, यह स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देगा और हम आयात पर कम निर्भर होंगे।
जनरल नरवणे ने बताया कि सशस्त्र बलों की आत्मनिर्भरता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख मेक इन इंडिया के तहत आधुनिकीकरण की योजना का एक अभिन्न अंग है।
सैनिकों के लिए हल्की मशीन गन, विशेष वाहन, लंबी दूरी की तोपें और अन्य सुरक्षात्मक उपकरण खरीदे गए हैं।
कॉर्प्स ऑफ सिग्नल के इंजीनियरों और संचार उपकरणों के लिए अत्यधिक उन्नत उपकरण और मशीनें भी खरीदी गईं हैं।
कठोर सर्दियों के मौसम में तैनात सैनिकों के लिए न केवल आपातकालीन खरीद की गई है, बल्कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के बीच उनके परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं।
सेनाध्यक्ष ने कहा कि देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए या घायल हुए सैनिकों के परिवारों के लिए पारिवारिक पेंशन सहित अन्य सुविधाएं भी सुनिश्चित की गई हैं।
बता दें कि जून 2020 में पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत ने 20 सैनिक खो दिए थे।
लद्दाख में चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच भारतीय सेना ने त्वरित आपातकालीन खरीद की है।