रांची: झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) में गुरुवार को सदन में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (Drinking Water and Sanitation Department) के अनुदान मांग पर चर्चा हुई।
विपक्ष के कार्यवाही बहिष्कार के बाद पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 4372 करोड़ रुपये का अनुदान मांग पारित हुआ।
आंकड़ा 32 प्रतिशत से ज्यादा
इस पर चर्चा का जवाब देते हुए मंत्री मिथिलेश ठाकुर (Mithilesh Thakur) ने कहा कि अन्य प्रदेशों की तुलना में झारखंड के जलश्रोत कमजोर हैं।
6-7 नदियां ही हैं, जिसमें सालों भर पानी रहता है। उन्होंने कहा कि झारखंड मूलतः भूगर्भ जल (Ground Water) पर ही निर्भर है।
इसके बाद भी सरकार का लगातार यह प्रयास है कि हर घर तक नल के माध्यम से जल पहुंचे।
उन्होंने कहा कि 2019 से पहले मात्र चार प्रतिशत घरों तक नल से जल पहुंचा था। आज यह आंकड़ा 32 प्रतिशत से ज्यादा है।
19 लाख 46 हजार घरों तक नल से जल पहुंचाया
उन्होंने कहा कि अब तक हमारी सरकार ने 19 लाख 46 हजार घरों तक नल से जल पहुंचाया है। लक्ष्य 61.18 लाख घरों तक नल से जल पहुंचने का है जो हम 2024 तक पूरा कर लेंगे।
सभी पेयजल योजनाओं (Drinking Water Schemes) का थर्ड पार्टी (Third Party) जांच का प्रावधान है।
पूर्ण होने पर Agency से जांच कराई जाती है, जितनी भी योजनाएं पूर्ण हुई है उसकी देखरेख का जिम्मा संबंधित एजेंसी को दिया है।
1932 खतियान का झांसा देकर सत्ता में आई यह सरकार
इससे पहले अनुदान मांग पर कटौती प्रस्ताव लाते हुए BJP विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि जिस वायदे के साथ यह सरकार सत्ता में आई थी, उसपर कहीं से खड़ा नहीं उतर रही है।
झारखंड को कैसे आगे बढ़ाया जाए इसकी सरकार को चिंता नहीं है। उन्होंने कहा की जिस मांग को लेकर हेमन्त सोरेन ने अर्जुन मुंडा की सरकार को अपदस्थ किया था, उसपर आज तक काम नहीं हुआ।
1932 खतियान का झांसा देकर सत्ता में आई यह सरकार आज 1932 पर गुम है। युवाओं को सपना दिखाकर सत्ता में आई यह सरकार आज युवाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है।
चर्चा में JP पटेल, मंगल कालिंदी, भूषण बाड़ा, बिनोद सिंह, सरयू राय और प्रदीप यादव सहित अन्य विधायकों ने हिस्सा लिया।