चतरा: स्वास्थ्य कर्मियों (Health Workers) की लापरवाही से मरीजों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
यहां तक कि कभी-कभार उनकी जान पर भी बन आती है। उनकी जान भी चली जाती है। चतरा जिले में ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों (Rural Health Centers) पर ऐसे मामले आते रहते हैं।
कोल्हैया पंचायत (Kolhaiya Panchayat) के लारा लूटुदाग गांव की एक गर्भवती (Pregnant) महिला के साथ भी ऐसा ही हुआ।
जानकारी के अनुसार, यहां की एक प्रसूता गुंजन देवी के साथ शुक्रवार की रात स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के कर्मियों की असंवेदनशीलता व लापरवाही के कारण जान गंवानी पड़ी।
समय से बेहतर इलाज के लिए नहीं भेजा गया सदर अस्पताल
बताया जा रहा है कि गुंजन देवी को प्रसव के लिए 17 मार्च की शाम को ऊंटा स्वास्थ्य केंद्र (Health Center) में लाया गया था, परंतु प्रसव के दौरान अधिक रक्तस्राव हो जाने के बाद भी प्रसूता को वहां से कहीं बाहर नहीं ले जाकर रात भर वहीं रखा गया।
सुबह जब मरीज की सांसें थमने लगीं तो अस्पताल प्रबंधन (Hospital Management) उसे ममता वाहन से सदर अस्पताल (Sadar Hospital) ले जाने लगे, परंतु सदर अस्पताल पहुंचने से पूर्व ही गुंजन देवी की मौत हो गई। हां, बच्चे की जान बच गई है।
जांच हुई, परंतु नाम के लिए
घटना की सूचना विभाग (Information Department) के वरीय अधिकारी को मिली। उन्होंने अविलंब जांच का निर्देश चिकित्सा पदाधिकारी (Medical Officer) डॉ सिंद्रेला बालमुचू को दिया।
पूरा मामला जांच के नाम पर खानापूर्ति कर रफा-दफा कर दिया गया। इस मामले में ममता वाहन के चालक की भूमिका पर भी संदेश है।
सिविल सर्जन (Civil Surgeon) डॉ एसएन सिंह ने बताया कि इस मामले में हुई जांच की रिपोर्ट अब तक उनके पास नहीं आई है।