नई दिल्ली: Surat Court के एक फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सदस्यता रद्द कर दी है।
वहीं Lok Sabha के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह (Utpal Kumar Singh) के हस्ताक्षर से जारी लेटर में कहा गया है कि Representation of Peoples Act-1951 के धारा 102 (1)(e) के तहत सदस्यता खत्म की जाती है।
राहुल को मानहानि केस (Defamation Case) में सूरत की एक अदालत ने गुरुवार को 2 साल की सजा सुनाई थी। राहुल की सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेसी सड़कों पर है और डरो मत का नारे लगा रहे हैं।
‘अभी इंदिरा के सभी सिपाही मरे नहीं हैं’
राहुल की सदस्यता रद्द होने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने कहा कि लोकतंत्र (Democracy) बचाने के लिए हम जेल जाने को भी तैयार हैं।
उत्तराखंड (Uttarakhand) के पूर्व CM हरीश रावत (Harish Rawat) ने एक बयान में कहा है कि अभी इंदिरा के सभी सिपाही मर नहीं गए हैं।
इंदिरा गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेसियों में था जोश हाई
बता दें कि 45 साल पहले 18 नवंबर 1978 में दिल्ली (Delhi) में बढ़ती ठंड के बीच तत्कालीन PM मोरारजी देसाई (PM Morarji Desai) ने कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव जीतकर आई कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश कर दिया।
प्रस्ताव पर 7 दिन तक चली बहस के बाद Indira Gandhi की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। सदस्यता रद्द होने के बाद सदन से जब इंदिरा बाहर निकलीं तो कांग्रेसियों (Congressmen) में जोश हाई था और नारे लगा रहे थे- एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंगलूर-चिकमंगलूर।
1977 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी की हुई थी करारी हार
Emergency खत्म होने के बाद कांग्रेस के खिलाफ विपक्षी नेताओं (Opposition Leaders) ने एक मोर्चा बनाया था। मोर्चा का नेतृत्व जय प्रकाश नारायण (Jai Prakash Narayan) कर रहे थे।
1977 के आम चुनाव में Indira Gandhi की करारी हार हुई। कांग्रेस (Congress) पूरे देश में 154 सीटों पर सिमटकर रह गई। UP, बिहार (Bihar), बंगाल और MP जैसे राज्यों में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया।
खुद इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से चुनाव हार गईं। उनके कई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा। Congress की हार के बाद मोरारजी की सरकार बनी और इसके बाद शुरू हुआ गांधी परिवार (Gandhi Family) पर कार्रवाई का दौर। 1978 में पहले संजय गांधी की गिरफ्तारी हुई और फिर इंदिरा गांधी को पुलिस ने पकड़ लिया।
इंदिरा गांधी ने की थी दमदार वापसी
इसी बीच कर्नाटक (Karnataka) के चिकमंगलूर सीट पर उपचुनाव (By-Election) की घोषणा हो गई। इंदिरा गांधी ने यहां से पर्चा दाखिल कर दिया। इंदिरा के खिलाफ मैदान में उतरे थे दिग्गज समाजवादी नेता वीरेंद्र पाटिल (Virendra Patil)।
इंदिरा ने इस चुनाव में पाटिल को 70 हजार से ज्यादा Votes से हराया और संसद पहुंचने में कामयाब रही। हालांकि, कुछ महीने बाद ही इंदिरा की सदस्यता रद्द कर दी गई।
1980 में कांग्रेस ने 363 सीटों पर दर्ज की बड़ी जीत
इसके बाद इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) पूरे देश का दौरा करने लगी। बिहार से लेकर गुजरात (Gujarat) और दक्षिण में इंदिरा की जनसभा ने Congress में जान फूंक दिया।
1980 में आंतरिक टूट के बाद जनता पार्टी की सरकार गिर गई और फिर आम चुनाव की घोषणा हुई। इंदिरा के सामने जगजीवन राम (Jagjivan Ram) और चौधरी चरण सिंह जैसे दिग्गज नेताओं की चुनौती थी, लेकिन इंदिरा की राजनीतिक लड़ाई (Political Battle) ने कांग्रेस की वापसी करा दी।
1980 में कांग्रेस ने 529 में 363 सीटों पर बड़ी जीत दर्ज की। चौधरी चरण सिंह की पार्टी को 41 और जनता पार्टी को 31 सीटों पर जीत मिली।
दक्षिण में तब भी थी मजबूत, अब भी मजबूत है
1977 में करारी हार के बावजूद कांग्रेस दक्षिण भारत (South India) में मजबूत स्थिति में थी। उस कांग्रेस गठबंधन को दक्षिण भारत में करीब 100 से ज्यादा सीटें मिली थी। वर्तमान में भी Congress दक्षिण भारत में ही सबसे मजबूत है।
कांग्रेस गठबंधन का तमिलनाडु (Tamil Nadu), कर्नाटक और केरल में मजबूत पकड़ है। राहुल गांधी खुद भी केरल के वायनाड सीट से चुनाव जीते थे। केरल में कांग्रेस गठबंधन (Congress Alliance) के पास 85 फीसदी सीटें है।
तमिलनाडु (Tamil Nadu) में भी कांग्रेस और DMK गठबंधन का दबदबा है। हालांकि, आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में कांग्रेस का जनाधार जरूर खिसका है। वहां जगनमोहन रेड्डी की पार्टी ने कांग्रेस का स्थान ले ली है।