रांची: खेतों की उर्वरा शक्ति को संतुलित बनाए रखने के लिए और पर्यावरण (Environment) को प्रदूषण (Pollution) से बचाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने वर्ष 2019-20 में प्राकृतिक खेती पर जोर देना शुरू किया।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र ने देश के 8 राज्यों को मदद दी है। इनमें झारखंड भी शामिल है।
इसी योजना के तहत मुख्य रूप से सभी सिंथेटिक (Synthetic), रासायनिक उपादानों को खेती से दूर रखने पर जोर है। बायोमास (Biomass), मल्चिंग, गाय के गोबर (Cow Dung), और अन्य पौधे आधारित सामग्री के प्रयोग पर पर जोर देने के साथ-साथ खेत में बायोमास रीसाइकलिंग (Biomass Recycling) को बढ़ावा देने का काम भी शुरू हुआ।
BPKP के तहत 500 हेक्टेयर कलस्टर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों के लिए 12,200 रुपये की राशि भी प्रदान की जा रही है। इसका परिणाम यह रहा है कि अब तक 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को BPKP के तहत लाया गया है।
झारखंड को मिली है 54 लाख से अधिक राशि
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री (Farmer Welfare Minister) नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिले, इसके लिए सरकार ने BPKP की राशि कुल 8 राज्यों को जारी की है।
इन 8 राज्यों को 409400 हेक्टेयर भूमि पर खेती के लिए 5599 लाख रुपये की राशि जारी की गई।
इसमें झारखंड में 34100 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को बढ़ावा देने की दिशा में काम चल रहा है। इसके लिए 54 लाख रुपये से अधिक की राशि जारी भी कर दी गई है।
रांची के सांसद संजय सेठ की ओर से उठाए गए प्रश्न के जवाब में लोकसभा (Lok Sabha) में कृषि मंत्री ने बताया है कि प्राकृतिक खेती के लिए 697 मास्टर ट्रेनर (Master Trainer) विकसित किए गए हैं।
मैनेज संस्था के माध्यम से 56952 ग्राम प्रधानों के लिए Natural Farming पर 997 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।