नई दिल्ली: Supreme Court ने गुरुवार को तमिलनाडु (Tamil Nadu) में बिहार से आए प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) पर हमले के बारे में झूठी सूचना फैलाने के आरोपी वकील प्रशांत कुमार उमराव (Prashant Kumar Umrao) से माफी मांगने और अधिक जिम्मेदार बनने को कहा।
उमराव के सत्यापित ट्विटर हैंडल (Twitter Handle) का कहना है कि वह उत्तर प्रदेश BJP के प्रवक्ता हैं।
जस्टिस बी.आर. गवई (BR Gawai) और पंकज मिथल (Pankaj Mithal) की पीठ ने उमराव का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से पूछा : इस बारे में आपका क्या स्टैंड है?
आपको अधिक जिम्मेदार बनना चाहिए और सुनवाई की अगली तारीख से पहले आप माफी मांगें।
उमराव की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही
शीर्ष अदालत उमराव की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाओं में से एक पर अग्रिम जमानत देते समय मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने उन पर लगाई गई एक शर्त को चुनौती दी थी।
High Court ने कहा था कि उमराव (Umrao) को 15 दिनों की अवधि के लिए प्रतिदिन सुबह 10.30 बजे और शाम 5.30 बजे पुलिस के समक्ष उपस्थित होना चाहिए और पुलिस को पूछताछ जरूरी होने पर रिपोर्ट करनी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने इस शर्त को यह कहते हुए संशोधित किया कि उमराव को 10 अप्रैल को जांच अधिकारी (IO) के सामने पेश होना चाहिए और उसके बाद भी, जब IO को उनकी मौजूदगी जरूरी लगे।
यह कहते हुए एक अंतरिम आदेश भी पारित
पीठ ने यह कहते हुए एक अंतरिम आदेश भी पारित किया कि उमराव को दी गई अग्रिम जमानत ट्वीट के संबंध में तमिलनाडु में दर्ज अन्य FIR पर लागू होगी।
दूसरी याचिका में उमराव ने ट्वीट के संबंध में विभिन्न पुलिस स्टेशनों में उनके खिलाफ दर्ज FIR को जोड़ने की मांग की। बाद में उमराव ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था।
लूथरा ने कहा कि उमराव ने केवल खबरों को Re-tweet किया, जिसे कुछ मीडिया संगठनों ने पहले ही साझा कर दिया था।
उमराव को किया जा रहा परेशान
Tamil Nadu का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि ऐसी कोई और प्राथमिकी नहीं है, जहां उनका नाम लिया गया हो और कहा कि बार के एक जिम्मेदार सदस्य को ऐसी बातें Tweet नहीं करनी चाहिए।
उमराव के वकील ने तर्क दिया कि कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं के इशारे पर उनके मुवक्किल के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज (FIR) की गईं और उमराव को परेशान किया जा रहा है।
रोहतगी ने कहा किया कि उमराव ने उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार हलफनामा दायर नहीं किया, जिसमें उन्हें धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास और भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाले किसी भी संदेश को Tweet या Forward नहीं करने का वचन देना चाहिए था।
लूथरा ने कहा पुलिस उन्हें कर सकती है गिरफ्तार
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने उमराव के वकील से कहा कि उनके मुवक्किल को पुलिस के सामने पेश होना चाहिए और उनकी याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस भी जारी करना चाहिए।
लूथरा ने कहा कि ऐसी संभावना है कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।
पुलिस के अनुसार, उमराव के खिलाफ IPC की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना, दुश्मनी और नफरत को बढ़ावा देने, शांति भंग करने के लिए उकसाने वाला बयान शामिल था।