पटना: बिहार में पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन (Anand Mohan) की जेल से रिहाई बहुत जल्द होने वाली है।
बिहार सरकार (Government of Bihar) के जेल नियमावली में बदलाव के बाद उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद मोहन फिलहाल पैरोल पर जेल के बाहर हैं। इधर, आनंद मोहन की रिहाई को लेकर कानून में हुए बदलाव को लेकर अब सियासत गर्म हो गई है।
बिहार सरकार (Government of Bihar) ने आनंद मोहन सहित 27 कैदियों को जेल से रिहाई के संबंध में अधिसूचना जारी की है।
आनंद मोहन को 1994 में गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णया की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और वे आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।
नियम में बदलाव के बाद बिहार की सियासत गर्म हो गई
दरअसल, बिहार सरकार कारा हस्तक से उस वाक्यांश को ही विलोपित कर दिया था, जिसमें सरकार कर्मचारी की हत्या का जिक्र था। बिहार सरकार ने बिहार कारा हस्तक (Car Handle) 2012 में यह संशोधन किया था। बिहार सरकार के विधि विभाग ने आनंद मोहन समेत 27 कैदियों को जेल से रिहा करने का आदेश जारी कर दिया।
इधर, इस नियम में बदलाव के बाद बिहार की सियासत गर्म हो गई है। बिहार में सत्ताधारी जनता दल युनाइटेड के अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) ने मंगलवार को अपने Twitter हैंडल से Tweet करते हुए उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और भाजपा (Mayawati and BJP) पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा आनंद मोहन की रिहाई पर अब भाजपा खुलकर सामने आई है। पहले तो UP की अपनी बी टीम से विरोध करवा रही थी। भाजपा को यह पता होना चाहिए कि नीतीश कुमार के सुशासन में आम व्यक्ति और खास व्यक्ति में कोई अंतर नहीं किया जाता है।
आनंद मोहन ने पूरी सजा काट ली और जो छूट किसी भी सजायाफ्ता (Convicted) को मिलती है वह छूट उन्हें नहीं मिल पा रही थी क्योंकि खास लोगों के लिए नियम में प्रावधान किया हुआ था।
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने आम और खास के अंतर को समाप्त किया और एकरूपता लाई तब उनकी रिहाई का रास्ता प्रशस्त हुआ। अब भाजपाइयों के पेट में न जाने दर्द क्यों होने लगा है।
मायावती ने Tweet कर इस निर्णय के पुनर्विचार करने की बात कही
भाजपा का सिद्धांत ही है विरोधियों पर पालतू तोतों को लगाना, अपनों को बचाना और विरोधियों को फंसाना है, वहीं नीतीश कुमार के सुशासन में न तो किसी को फंसाया जाता है न ही किसी को बचाया जाता है।
इससे पहले UP की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने Tweet कर इस निर्णय के पुनर्विचार करने की बात कही। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि बिहार की नीतीश सरकार (Nitish government) द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से IAS बने बेहद ईमानदार जी
. कृष्णया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है।
आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं
उन्होंने आगे कहा कि आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन DM कृष्णया की हत्या मामले (Krishnaya Murder Case) को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है। चाहे कुछ मजबूरी हो किन्तु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे।
उल्लेखनीय है कि आनंद मोहन (Anand Mohan) इन दिनों घर में मांगलिक कार्य को लेकर पेरोल पर जेल से बाहर हैं। सोमवार को उनके पुत्र की सगाई थी, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह (Tejashwi Yadav and Lalan Singh) भी पहुंचे थे।