रांची: पूर्व उपमुख्यमंत्री और आल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (AJSU) के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो (Sudesh Mahto) ने कहा कि शहीदों की संघर्ष गाथा, धरती पुत्रों को जुल्म और अन्याय से लड़ने की ताकत देता है।
साथ ही अतीत में पुरखों के संघर्ष की याद भी दिलाता है। झारखंड के सभी महानायकों की संघर्ष गाथा को स्कूलों एवं कॉलेजों (Schools and Colleges) के पाठ्यक्रमों में भी शामिल किया जाना चाहिये, जिससे नई पीढ़ी वीर लड़ाकों की शहादत से वाकिफ़ हो सके।
महतो मंगलवार को नीमडीह, ईचागढ़ में भूमिज आंदोलन के महानायक क्रांतिवीर गंगा नारायण सिंह (Ganga Narayan Singh) की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद बोल रहे थे।
जिन विषयों को लेकर इतनी बड़ी शक्ति एकत्रित हुई
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई में झारखंड के वीर सपूतों की भूमिका अतुलनीय है। झारखंड की धरती ने ऐसे-ऐसे महान शौर्य और पराक्रमी पुत्रों को जन्म दिया है, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन (Independence Movement) को अपने लहू से सींचा है।
उन्होंने कहा कि जिन क्रांतिकारियों, वीर सपूतों को सामने रखकर झारखंड का गठन किया गया, उसके पीछे के संघर्ष और उद्देश्य को समझने की जरुरत है।
जिन विषयों को लेकर इतनी बड़ी शक्ति एकत्रित हुई, असंख्य कुर्बानियां दी गई, इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी हम उन्हें स्थापित कर पाए या नहीं, बड़ी आबादी के मन के सवाल सुलझा पाए या नहीं, इसका मूल्यांकन जरूरी है।
लैस सेना का सामना कर भूमिज विद्रोह का बिगुल फूंका
वीर शहीद गंगा नारायण सिंह (Ganga Narayan Singh) को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड की माटी के लाल अमर शहीद गंगा नारायण सिंह ने सीमित संसाधनों तथा पारंपरिक हथियारों के साथ अंग्रेजों के आधुनिक हथियारों से लैस सेना का सामना कर भूमिज विद्रोह (Land Rebellion) का बिगुल फूंका।
झारखंड के वीर सपूतों से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि सीमित संसाधनों और विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य, आक्रामकता एवं कुशल प्रबंधन (Aggressiveness and Efficient Management) से बड़ी से बड़ी लड़ाई जीती जा सकती है।