मेदिनीनगर: पलामू जिला व्यवहार न्यायालय के जिला और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पंचम अभिमन्यु कुमार की अदालत ने हत्या के एक मामले (Palamu Murder Case) में रामऔतार मेहता उर्फ रामाधार मेहता (Ramadhar Mehta) को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।
केस लड़ने के लिए LADC को कहा गया
उल्लेखनीय है कि रामाधार मेहता 6 जून, 2016 से जेल में बंद था। फिलहाल वह बोकारो जिला के मण्डल कारा चास में बंद था। रामावतार मेहता को जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से केस लड़ने के लिए LADC को कहा गया था। उसे सरकारी खर्च पर बचाव अधिवक्ता LADC के ओर से उपलब्ध कराया गया था।
इस मामले में औरंगाबाद जिला अंतर्गत माली थाना के सिमरा निवासी राजेंद्र मेहता (Rajendra Mehta) ने रामअवतार मेहता के विरुद्ध हरिहरगंज थाना में कांड संख्या 41 तिथि 4 जून, 2012 को नामजद प्राथमिकी दर्ज कराया था।
उसपर आरोप था कि रामअवतार मेहता सुशीला देवी को जान मारने के नियत से गर्दन में चोट पहुंचाया तथा हत्या (Murder) कर साक्ष्य छुपाने के नियत से नदी के किनारे फेंक दिया था।
अदालत में इस मामले में अभियोजन की
अदालत में इस मामले में अभियोजन (Prosecution) की ओर से नौ गवाहों की गवाही कराई गई लेकिन अभियोजन घटना को साबित करने में असफल रहा।
बचाव पक्ष की ओर से LADC के चीफ अमिताभ चन्द सिंह और डिप्टी चीफ संतोष कुमार पांडेय (Chand Singh and Deputy Chief Santosh Kumar Pandey) ने इस मामले में राम अवतार मेहता की ओर से बहस किया था और उसे निर्दोष बताया था। अदालत ने इस मामले में साक्ष्य की कमी पाते हुए सत्र वाद संख्या 118/2013 के आरोपित रामअवतार मेहता को बरी कर दिया।