नई दिल्ली: नए कृषि कानून पर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध दूर करने की दिशा कदम बढ़ाते हुए सरकार ने कानून के अमल पर डेढ़ साल के लिए रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है।
आंदोलन की राह पकड़े किसान प्रतिनिधियों के साथ 10वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि किसान यूनियनों को नए कानून के अमल पर एक या डेढ़ साल तक रोक लगाने और इस बीच सरकार एवं किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाकर मसले का समाधान करने का प्रस्ताव दिया है।
किसान प्रतिनिधियों के साथ बैठक में कृषि मंत्री तोमर के अलावा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद थे।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने बैठक के आरंभ में सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी के 354वें प्रकाश पर्व पर सभी को बधाई दी।
उन्होंने किसान संगठनों को आंदोलन के दौरान अनुशासन बनाए रखने के लिए धन्यवाद दिया और आंदोलन समाप्त करने के लिए पुन आग्रह किया।
सरकार द्वारा कहा गया कि अब तक कृषि सुधार से संबंधित तीनों कानूनों तथा एमएसपी के सारे आयामों पर बिन्दुवार सकारात्मक चर्चा नहीं हुई है।
सरकार ने यह भी कहा कि हमें किसान आंदोलन को संवेदनशीलता से देखना चाहिए तथा किसानों व देशहित में समग्रता की दृष्टि से उसे समाप्त करने के लिए ठोस प्रयास करना चाहिए।
तोमर ने कहा कि, यदि संगठनों को इन कानूनों पर एतराज है या आप कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो हम उन बिंदुओं पर आपसे चर्चा करने के लिए सदैव तैयार हैं।
कृषि मंत्री ने पुन आग्रह करते हुए कहा कि कानूनों को रिपील करने के अलावा इन प्रावधानों पर बिन्दुवार चर्चा करके समाधान किया जा सकता है।
पिछली बैठकों में अन्य विकल्पों पर चर्चा न होने की वजह से कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल पाया था, हम चर्चा को सार्थक बनाने का आग्रह करते हैं।
प्रारम्भ से ही सरकार विकल्पों के माध्यम से किसान प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने के लिए खुले मन से प्रयास कर रही है।
सरकार कृषि क्षेत्र को उन्नत और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।
किसानों की जमीन हड़पी जाने संबंधी भ्रांति दूर करते हुए तोमर ने साफ-तौर पर कहा कि, इन कानूनों के रहते कोई भी व्यक्ति देश में किसानों की जमीन हड़पने की ताकत नहीं रखता।
हम खेती को आगे बढ़ाने और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ये कानून किसानों के जीवन में क्रान्तिकारी बदलाव लाएंगे, जिससे किसानों की दशा-दिशा बदलेगी और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।
श्री गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रकाश पर्व के पावन अवसर पर, कड़कड़ाती सर्दी में चल रहे किसान आन्दोलन की समाप्ति को दृष्टिगत रखते हुए, सरकार की तरफ से यह प्रस्ताव दिया गया कि कृषि सुधार कानूनों के क्रियान्वयन को एक से डेढ़ वर्ष तक स्थगित किया जा सकता है।
इस दौरान किसान संगठन और सरकार के प्रतिनिधि किसान आन्दोलन के मुद्दों पर विस्तार से विचार-विमर्श करके उचित समाधान पर पहुंच सकते हैं।
इस पर किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि, वह सरकार के प्रस्ताव पर 21 जनवरी को विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे और दिनांक 22 जनवरी को दोपहर 12 बजे विज्ञान भवन में संपन्न होने वाली बैठक में सरकार को अवगत करायेंगे।
आज की वार्ता सौहाद्र्रपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुई।