भुवनेश्वर: ओडिशा सरकार (Government of Odisha) ने शुक्रवार को बाहानगा हाई स्कूल (Bahanaga High School) के एक हिस्से को गिराने और पुनर्निर्माण करने का फैसला किया, जिसमें 2 जून की शाम हुए ट्रेन हादसे (Train Accident) में जान गंवाने वाले लोगों के शवों को संरक्षित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला परिसर भी शामिल है।
सरकार ने यह निर्णय शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और अन्य सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने के बाद लिया है, जो उसी परिसर में शिक्षा जारी रखने का विरोध कर रहे थे क्योंकि मौतों और चोटों की छवियों ने उनके दिमाग पर एक अमिट छाप छोड़ी थी।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (CM Naveen Patnaik) के निर्देशानुसार मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जेना, मुख्यमंत्री के सचिव 5T, वीके. पांडियन, और स्कूल एवं जन शिक्षा सचिव एस. अश्वस्थी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) के माध्यम से बालासोर कलेक्टर, स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों, पंचायत प्रतिनिधियों, शिक्षकों, छात्रों और पूर्व छात्र संघ के सदस्यों के साथ बातचीत की।
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को ध्वस्त करने का निर्णय
पटनायक ने उनसे चर्चा करने के बाद अधिकारियों को 5T इनिशिएटिव (5T Initiative) के तहत इसके जीर्णोद्धार के साथ इसे मॉडल स्कूल (Model School) बनाने का निर्देश दिया है।
पांडियन ने कहा कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बैठक में हाई स्कूल के पास स्थित प्राइमरी और एलिमेंट्रीस स्कूलों (Primary & Elementary Schools) को ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया।
विस्तृत योजना तैयार कर 15 दिन में रिपोर्ट
जिलाधिकारी को विस्तृत योजना तैयार कर 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है।
बालासोर के कलेक्टर दत्तात्रेय भाऊसाहेब शिंदे ने कहा, 5T परिवर्तन कार्यक्रम के तहत एक नया उच्च विद्यालय भवन बनाया जा रहा है और काम जल्द ही पूरा हो जाएगा।
अब, सरकार ने निर्देश दिया है कि इसके आसपास के प्राइमरी और एलिमेंट्री स्कूलों के पुराने एसबेस्टस भवन को पूरी तरह से ध्वस्त कर पुनर्विकास किया जाएगा।
स्कूल को एक अस्थायी मुर्दाघर में बदल दिया
हादसे में 275 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी और 1,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
दुर्घटना के बाद स्कूल को जल्दबाजी में एक अस्थायी मुर्दाघर में बदल दिया गया था।
बाद में शवों को कहीं और ले जाया गया और स्कूल की सफाई की गई।
लेकिन छात्रों, शिक्षकों और जनता में डर को देखते हुए स्कूल के विध्वंस और उसके पुनर्निर्माण की मांग उठने लगी।