रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली गये तो इससे सबसे ज्यादा तकलीफ पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास को हुई।
पर वे भूल गये कि राज्य में जब पांच साल तक उनकी सरकार रही तो हर हफ्ते वे सरकारी हेलीकॉप्टर से जमशेदपुर अपने निवास स्थान जाते थे।
झामुमो महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पांच साल में एक दफा भी वे सड़क मार्ग से जमशेदपुर नहीं गये।
यही नहीं इस दौरान नागपुर से लेकर पटना और रायपुर से लेकर दिल्ली तक की यात्रा में चार्टर्ड फ्लाइट का इस्तेमाल किया। वे यह भी भूल गये।
भट्टाचार्य ने कहा कि रघुवर दास सरकार के पैसे से लास वेगास गये थे।
वहां दुनिया का सबसे महंगा डांस क्लब और कैसिनो है। वे वहां कौन सा इन्वेस्टमेंट लाने गये थे। उन्हें बताना चाहिए।
मोमेंटम झारखंड में रांची से खेलगांव के लिए 78 उड़ानें भरी गयीं।
क्या यह ईमान के पैसे से थी। मुख्यमंत्री कोरोना काल में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए चार्टर्ड फ्लाइट से दिल्ली गये।
पूर्व मुख्यमंत्री को दर्द है कि वे झारखंड भवन क्यों गये। वहां उनका डेजिगनेटेड आवास है।
क्या मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को यह कैफियत देनी पड़ेगी कि वे कहां ठहरेंगे।
दिल्ली दौरे के दौरान उन्होंने भारत सरकार के कई मंत्रियों से मुलाकात की और सार्थक बातचीत की।
जब डीवीसी का गठन हुआ था तब उसमें झारखंड की 33 फीसदी हिस्सेदारी थी।
उसमें झारखंड का अरबों रुपये का कैपिटल फंसा हुआ है। ऐसे गंभीर मुद्दों पर वार्ता के लिए वे दिल्ली गये थे।
राज्य की प्रगति और खुशहाली भाजपा को मंजूर नहीं है।
इसलिए वे भ्रम फैला रहे हैं। भाजपा को सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए।
उन्होंने भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी पर कहा कि वे दुबई से लेकर थाईलैंड और बाली से लेकर सिंगापुर जा चुके हैं।
उन्हें अपना पासपोर्ट सार्वजनिक करके बताना चाहिए कि उनका डेस्टिनेशन क्या था।
उन्होंने कहा कि रघुवर दास राज्य में अपराधियों का मनोबल बढ़ने की बात कहते हैं।
जबकि उनके शासनकाल मेें कोर्ट परिसर में घुस कर हत्याएं होती थी।
मुख्यमंत्री आवास के गेट से अगवा कर हत्याएं होती थीं।
2019 में जब वे मुख्यमंत्री थे तो राज्य में नक्सली हिंसा की 134 घटनाएं हुई जबकि हेमंत सरकार के कार्यकाल में 2020 भी इनकी संख्या 127 रहीं।
इसी अवधि में रघुवर सरकार में 38 एनकाउंटर हुए जबकि हमारी सरकार में 50 हुए। वहीं, रघुवर सरकार में मॉब लिंचिंग की 12 घटनाएं हुर्इं।