नई दिल्ली/रांची: लोकसभा अध्यक्ष (Speaker) Om Birla ने संसद भवन पहुंचे देश के सबसे कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) के सदस्यों का संसद के ऐतिहासिक केन्द्रीय कक्ष (Historic Central Hall) में स्वागत करते हुए, देश के सबसे वंचित समूह के सदस्यों को संसद भवन में आमंत्रित करने की अनूठी पहल की सराहना की।
बिरला ने अंडमान निकोबार (Andaman Nicobar), छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, असम, तेलंगाना, मणिपुर और झारखंड के अलावा कई अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए PVTG के विभिन्न समूहों के लोगों के साथ बातचीत करते हुए भारत के स्वतंत्रता के संघर्ष में भगवान बिरसा मुंडा (Lord Birsa Munda) और अन्य आदिवासी नेताओं द्वारा दिए गए योगदान का उल्लेख किया और साथ ही भेदभाव का सामना करने वाले आदिवासी लोगों को विशेष सुरक्षा प्रदान करने के लिए संविधान सभा (Constituent Assembly) की सराहना भी की।
पिछड़ेपन को दूर करने की आवश्यकता
बिरला ने आधुनिक भारत के इतिहास में केन्द्रीय कक्ष (Central Hall) के महत्व की बात करते हुए कहा कि केन्द्रीय कक्ष उन सभी लोकतांत्रिक मूल्यों (Democratic Values) का प्रतीक है जो संविधान से सभी देशवासियों को प्राप्त हुए हैं।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कक्ष भारत की आजादी का गवाह था और यहीं पर संविधान निमार्ताओं (Constitution Makers) ने सभी भारतीयों को समानता, न्याय और स्वतंत्रता की गारंटी दी थी।
पिछड़ेपन को दूर करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इसे संविधान में शामिल किया।
PVTG चुनौती का सामना कर और सभी लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार
प्रकृति, परंपरा और संस्कृति के ज्ञान की जनजातीय विरासत (Tribal Heritage) के संदर्भ में बोलते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि प्राचीन काल से ही वनवासियों ने प्रकृति के साथ तालमेल से रहने का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
उन्होंने कहा कि आदिवासियों और विशेष रूप से PVTG की जीवन शैली हमेशा प्रकृति के अनुरूप रही है और आधुनिक दुनिया को उनसे बहुत कुछ सीखना है।
उन्होंने प्रधानमंत्री PVTG मिशन की सराहना की जिसके अंतर्गत इस समूह के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अगले तीन वर्षों में 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे।
बिरला ने आशा व्यक्त की कि पिछली कई सदियों की समझदारी के साथ, PVTG किसी भी चुनौती का सामना करने और सभी लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए तैयार रहेंगे। उन्होंने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि भारत में शीघ्र ही न केवल जीवन के सभी क्षेत्रों में बल्कि संसद में भी इस समूह के लोगों का अधिक प्रतिनिधित्व होगा।
जनजातीय समुदायों की भागीदारी को सुव्यवस्थित किए जाने की वकालत
देश के विभिन्न संस्थानों, शासन और निकायों में जनजातीय समुदायों की भागीदारी को सुव्यवस्थित किए जाने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि जनभागीदारी बढ़ने से जनजातीय समाज के लोग भी इन संस्थाओं के सु²ढ़ीकरण में अपना योगदान सुनिश्चित (Ensure Contribution) कर सकते हैं और इससे भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता और विविधता बढ़ेगी।
संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (Pride) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) के सदस्यों को आमंत्रित किया गया था।