‘कर्पूर गौरम करुणावतारं’ : यूं तो सनातन धर्म (Eternal Religion) में अनगिनत मंत्रों के बारे में बताया जाता है और इन सभी मंत्रों (,Mantras) का अपना अलग महत्व होता है।
सभी मंत्रों के उच्चारण (Chanting of Mantras) से एक ऊर्जा का प्रवाह होता है जो हमारे मन मस्तिष्क में भी ऊर्जा का संचार करता है और शरीर के साथ मन को भी स्वास्थ्य रखने में मदद करता है।
इन्हीं मन्त्रों में से है ‘कर्पूर गौरम करुणावतारं’, (‘Karpoor Gauram Karunavataram’,) इस मंत्र को भगवान शिव का प्रमुख मंत्र माना जाता है और ज्योतिष में मान्यता है कि इसके उच्चारण मात्र से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है।
यजुर्वेद में है उल्लेख
यह भगवान शिव से संबंधित एक प्राचीन संस्कृत श्लोक (Sanskrit Shloka) है और इसे शिव यजुर मंत्र के रूप में भी जाना जाता है। कर्पूर गौरंकरुणावतारम् मंत्र का बखान चार वेदों में से एक यजुर्वेद में पाया जाता है।
यह मंत्र सबसे प्रसिद्ध मंत्रों में से एक है जिसका उच्चारण आप सभी आरती के बाद जरूर करते हैं। आज इस आर्टिकल में ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी (Dr Aarti Dahiya Ji) से जानते हैं इस मंत्र के महत्व और इसके फायदों के बारे में।
जब हम इस मंत्र की बात करते हैं तो संपूर्ण मंत्र के रूप में ‘कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् । सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि॥
इस मंत्र का अर्थ –
कर्पूरगौरं- कपूर के सामान सफ़ेद और शुद्ध
करुणावतारं- चिन्ता और करुणा के अवतार हैं
संसारराम- ब्रह्मांड की सच्ची आत्मा
भुजगेंद्रहारम्- नागों की माला धारण किए हुए
सदावसंतम् ह्रदयारविन्दे- कमल के समान पवित्र हृदय में निवास करने वाले
भवं भवानीसहितं नमामि-जो भगवान शिव माता पार्वती समेत मेरे ह्रदय में निवास करते हैं, उन्हें प्रणाम है।
आसान शब्दों में इस मंत्र का तात्पर्य है कि “जो भगवान शिव माता भवानी के साथ मेरे हृदय में निवास करते हैं, जो कपूर के समान सफेद हैं, जो करुणा की अभिव्यक्ति हैं, जो ब्रह्मांड का सार हैं और जो नागों के राजा हैं, उनको प्रणाम है।”
ऐसी मान्यता है कि शिव के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को चमत्कारी लाभ मिलते हैं। कर्पूर गौरम करुणावतारम एक ऐसा शिव मंत्र है जिसका बखान यजुर्वेद में विस्तार से है। मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति को अनगिनत फायदे हो सकते हैं।
मंत्र के जाप से होने वाले फायदे
– इस मंत्र के नियमित जाप से शिव भक्तों के मार्ग के सभी संकट समाप्त हो सकते हैं।
– यह मंत्र अपने भक्तों को जीवन की हर एक चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने में मदद करता है।
– यदि आप इस मंत्र का नियमित जाप करते हैं तो आपकी एकाग्रता बढ़ती है और किसी भी काम में मन लगता है।
– यह मंत्र ब्रह्मांड और हमारे भीतर की आत्मा को समायोजित करने में सहायता करता है।
– इस मंत्र को सभी मंत्रों से ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है और ये नकारात्मकता को दूर करने का मूल मंत्र है।
– शिव के मंत्र का नियमित जाप से हमारे शरीर के भीतर और बाहर दोनों में कंपन और ऊर्जा बदल जाती है और हमें जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और समृद्धि मिलती है।
हर आरती के बाद पढ़ी जाती है यह मंत्र
ऐसा माना जाता है कि किसी भी आरती के समापन के बाद यदि यह मंत्र न पढ़ा जाए तो आरती अधूरी मानी जाती है और पूरी तरह से स्वीकार्य नहीं होती है।
इसी वजह से मंदिर ता घर में आरती के बाद इस मंत्र का उच्चारण अवश्य किया जाता है।
शिव और पार्वती विवाह के वक्त हुई थी इस मंत्र की स्तुति
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती (Mantras of Maata Parvati) की ये स्तुति शिव और माता पार्वती के विवाह के समय भगवान विष्णु द्वारा गाई गई थी। इस मंत्र में भगवान शिव के दिव्य स्वरुप का वर्णन किया गया है।
भगवान शिव की स्तुति का महत्व
मान्यता है कि ब्रह्मा विष्णु महेश (Brahma Vishnu Mahesh) में महेश अर्थात शिव सबसे बड़े और अलौकिक हैं। इसीलिए किसी भी आरती के बाद इस मंत्र का उच्चारण करना ज़रूरी माना जाता है।
भगवान शिव (Lord Shiva) सभी देवों के देव हैं पूरे संसार का जीवन और मरण भगवान शिव के ही अधीन है। इसलिए किसी भी पूजा के बाद भगवान शिव की स्तुति विशेष रुप से की जाती है।
मंत्र का करें नियमित उच्चारण
इस मंत्र को घर की नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) को समाप्त करने के लिए सबसे जरूरी माना जाता है, इसलिए अगर आप नियमित रूप से इस मंत्र का उच्चारण करते हैं तो आपके आसपास आप सकारात्मक माहौल महसूस करेंगे साथ ही आपका मन भी सकारात्मक रहेगा।