नई दिल्ली: यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को हिंदी में समान नागरिक संहिता कानून कहते हैं।
अपने नाम के मुताबिक अगर ये किसी भी देश में लागू हो जाए तो उस स्थिति में सभी के लिए समान कानून रहेंगे।
अभी भारत में जितने धर्म, उनके उतने कानून रहते हैं। कई ऐसे कानून हैं जो सिर्फ मुस्लिम समुदाय (Muslim community) पर लागू होते हैं, ऐसे ही हिंदुओं (Hindus) के भी कुछ कानून चलते हैं।
लेकिन Uniform Civil code के आने से ये सब खत्म हो जाता है, जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी के लिए समान कानून बन जाता है।
शादियों में भी चलेगा एक ही कानून
इसका उत्तर बिल्कुल सरल है, अगर भारत में Uniform Civil Code लागू हो जाता है तो हर धर्म-मजहब के लिए एक समान कानून लागू हो जाएंगे।
कानून में एक शब्द का कई बार इस्तेमाल होता है- पर्सनल लॉ (Personal Law)। पर्सनल लॉ वो होते हैं जिन्हें धर्म, जाति, विश्वास के आधार पर तैयार किया जाता है।
शादी, तलाक, एडोप्शन, फैमिली प्रॉपर्टी (Family Property), वसीहत जैसे जितने भी मामले होते हैं, ये सब अभी तक Personal Law के अंदर ही आते हैं।
अगर मुस्लिम समाज में बात करें तो वहां जैसे अभी तीन शादियां, तीन तलाक (Triple Talaq) जैसी नियम चलते हैं, Uniform Civil code आने से ये सब भी बदल जाएगा। फिर शादियों में भी एक ही कानून चलेगा।
नहीं हो सकता UCC लागू
Uniform Civil Code के समर्थन में एक बात हमेशा कही जाती है कि इससे लैंगिक समानता बढ़ जाएगी, धर्म के नाम पर जो अभी भेदभाव होता है, वो भी कम होगा।
इसके अलावा अभी जो हजारों कानून चल रहे हैं, वो भी काफी कम हो जाएंगे जिससे न्याय प्राणली में भी एक सरलता आएगी।
लेकिन इसी के उलट कुछ बुद्धिजीवी मानते हैं कि UCC लागू होने से धार्मिक स्वतंत्रता भी खत्म हो जाती है।
तर्क दिया जाता है कि संविधान ने ही धार्मिक स्वंत्रता भी दी है, ऐसे में UCC लागू नहीं हो सकता।