नई दिल्ली: दिल्ली (Delhi) के राऊज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) ने 84 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस (Congress) के पूर्व नेता जगदीश टाइटलर (Jagdish Tytler) के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर सुनवाई टाल दी है।
एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने चार्जशीट पर संज्ञान लेने के मामले पर कल यानी 7 जुलाई को सुनवाई करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान CBI ने कोर्ट को बताया कि
Rouse Avenue Court में कड़कड़डूमा कोर्ट से आज भी रिकॉर्ड नहीं आ सके।
उसके बाद कोर्ट ने कड़कड़डूमा कोर्ट के रिकॉर्ड रूम के इंचार्ज को नोटिस जारी कर इस मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड कल यानी 7 जुलाई को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान CBI ने कोर्ट को बताया कि रोहिणी स्थित फोरेंसिक लैब (Forensic lab) से रिपोर्ट जल्द देने के लिए रिमाइंडर भेजा गया है।
कोर्ट ने 30 जून को कहा था कि कोर्ट के पास पूरक चार्जशीट ही आई है और पूरी चार्जशीट अभी भी कोर्ट के पास नहीं पहुंच सकी है।
मामले की सुनवाई MP MLA कोर्ट में ट्रांसफर कर दी
कोर्ट ने कहा था कि चार्जशीट पर संज्ञान लेने से पहले से इस मामले से जुड़े रिकार्ड कोर्ट के पास होने चाहिए।
इसके लिए कड़कड़डूमा कोर्ट से फोरेंसिक लैब समेत इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज कोर्ट में मंगाए जाएंगे।
कोर्ट ने 2 जून को इस मामले की सुनवाई MP MLA कोर्ट में ट्रांसफर कर दी थी। इसके पहले कोर्ट ने आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा के बयान दर्ज करने में देरी पर CBI को फटकार लगाई थी।
कोर्ट ने कहा था कि इस मामले के 35 साल बीत गए और कई बार जांच में तेजी लाने के आदेश दिए गए। गवाह भी आगे आए लेकिन CBI केवल धारा 161 के तहत बयान दर्ज कर संतुष्ट हो गई।
अभिषेक वर्मा को Email के जरिये जान से मारने की धमकी
कोर्ट ने CBI से पूछा था कि उन बयानों पर गवाहों के दस्तखत तक नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा था कि अगर CBI चाहती है तो वो अभिषेक वर्मा का बयान धारा 164 के तहत दर्ज कर सकती है।
धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट बयान दर्ज करता है। अभिषेक वर्मा ने 2017 में दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी और अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। अभिषेक वर्मा को Email के जरिये जान से मारने की धमकी दी गई थी।
अभिषेक वर्मा 3 सिखों की हत्या के मामले में गवाह
अभिषेक वर्मा 1 नवंबर, 1984 में दिल्ली के पुलबंगश में तीन सिखों की हत्या के मामले में गवाह हैं। 1 नवंबर, 1984 को जिन सिखों की हत्या हुई थी, उनमें बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह हैं।
तीनों की हत्या पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की गई थी। इस केस को नानावटी कमीशन ने दोबारा खोलने का आदेश दिया था।
CBI ने इस मामले में टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 109 और 302 के तहत अभियोग लगाया है।
CBI के मुताबिक टाइटलर ने भीड़ को उकसाया था, जिसके बाद भीड़ ने पुलबंगश के गुरुद्वारे में आग लगा दी थी।