इस्लामाबाद: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की छह सदस्यीय पीठ ने नागरिकों (Citizens) पर सैन्य मुकदमों (Military trials) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई फिर शुरू कर दी है।
Pakistan के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर, न्यायमूर्ति याह्या अफरीदी, न्यायमूर्ति सैय्यद मजहर अली अकबर नकवी और न्यायमूर्ति आयशा ए मलिक शामिल हैं।
सैन्य कानून सख्त हैं
मंगलवार की सुनवाई में चीफ जस्टिस बंदियाल (Chief Justice Bandial) ने कहा था कि नागरिकों को सैन्य अदालतों की कठोरता से नहीं गुजरना चाहिए।
नागरिकों को संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त है। सैन्य कानून (Military law) सख्त हैं। सामान्य कानून से अलग हैं। इनका सामना सैन्य कर्मियों के लिए अच्छा हो सकता है।
प्रधान न्यायाधीश ने सरकार के एक अनुरोध को भी ठुकराया
प्रधान न्यायाधीश ने यह टिप्पणी पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान अवान (Attorney General Mansoor Usman Awan) की दलील पर की।
अवान ने न्यायमूर्ति याह्या अफरीदी के 23 जून के नोट का हवाला दिया था। कल प्रधान न्यायाधीश ने सरकार के एक अनुरोध को भी ठुकरा दिया था।
इस सप्ताह की शुरुआत में सरकार ने तर्क दिया था कि पाकिस्तान सेना अधिनियम 1952 (Pakistan Army Act 1952) के तहत सशस्त्र बलों के खिलाफ हिंसा के आरोपितों पर मुकदमा संवैधानिक ढांचे के अनुरूप है।