रांची: झारखंड में नाबालिगों के यौन शोषण से जुड़े मामलों (Sexual Exploitation Case) की तफ्तीश में तेजी लाने और POCSO Act के तहत मुजरिमों को सजा दिलाने के लिए झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) एक स्पेशल यूनिट का गठन कर रही है।
CID के तहत बनायी जाने वाली इस यूनिट में महिला-पुलिस पदाधिकारियों और पुलिसकर्मियों (Women-Police Officers and Policemen) की प्रतिनियुक्ति की जायेगी।
राज्य के सभी 606 थानों में स्पेशल महिला पुलिस की नियुक्ति की जायेगी। CID का प्रयास है कि पॉक्सो के मामले में न सिर्फ जांच को गति मिले, बल्कि मौके पर अधिक से अधिक सबूत भी जुटाए जायें। यही नहीं उपलब्ध ठोस सबूतों के आधार पर अभियुक्तों को जल्द से जल्द सजा भी दिलायी जाये।
झारखंड पुलिस का मानना है कि लैंगिक अपराध के पीड़ितों की मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग (Psychological Counseling) के लिए ऐसे महिला-पुलिस पदाधिकारियों और कर्मियों की जरूरत है जो पीड़ित बच्चे-बच्चियों को देखकर घबराएं नहीं। साथ ही जरूरत होने पर पीड़ित बच्ची को प्राथमिक उपचार देने के साथ पट्टी और टीका लगा सकें।
तीन साल में राज्य में पॉक्सो एक्ट के 3388 मामले दर्ज किए गए
इस जरूरत को देखते हुए स्पेशल यूनिट में प्रतिनियुक्त महिला पुलिसकर्मियों को मनोवैज्ञानिक, लॉ, मेडिकल फॉरेंसिक तथा नर्सिंग की ट्रेनिंग (Nursing Training) दी जायेगी।
इसके अलावा उन्हें पीड़ितों के शरीर और पहने हुए कपड़ों पर उपलब्ध साइंटिफिक एविडेंस (Scientific Evidence) एकत्र करने की भी ट्रेनिंग दी जायेगी।
झारखंड में पॉक्सो एक्ट से जुड़े मामलों में तेजी आई है। बीते तीन साल में राज्य में पॉक्सो एक्ट के 3388 मामले दर्ज किए गए हैं। ये आंकड़े मार्च 2023 तक के हैं।
झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के दौरान भाजपा विधायक मनीष जायसवाल (Manish Jaiswal) की ओर से पूछ गए प्रश्न पर यह जानकारी संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने दी थी। गौरतलब है कि राज्य में पॉक्सो एक्ट से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए 16 स्पेशल कोर्ट हैं।