रांची: भारतीय जनता पार्टी के साथ नीतीश (Nitish) का संबंध बहुत लंबा रहा है। जब से ‘इंडिया’ गठबंधन बना है, तब से भाजपा को लगने लगा है कि अगली बार सत्ता उसके लिए आसान नहीं है।
इसलिए रह-रह कर नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में नीतीश के फिर से आने की चर्चा शुरू हो जाती। यह सही है कि कुछ ऐसी राजनीतिक परिस्थितियां बीच में सामने आ जा रही हैं।
NDA का हिस्सा केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले (Ramdas Athawale) ने बिहार में NDA में नीतीश के आने को लेकर 29 मई को बयान दिया था।
इस बयान पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास (Raghuvar Das) ने कहा है कि “नीतीश कुमार शुरू से ही NDA के हिस्सा रहे हैं, मुझे लगता है कि उनकी रामदास अठावले से बात हुई होगी और उनसे कुछ कहा होगा।
अमित शाह ने नीतीश से समझौते से किया था इनकार
बता दें कि अठावले ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) हमारे हैं। और वो हमारे पास कभी भी आ सकते हैं। हम अब भी उनकी गैर मौजूदगी का एहसास करते हैं।
साथ ही अठावले ने उन्हें सलाह दी कि वे मुंबई में विपक्ष की होने वाली बैठक में शामिल न हों। याद कीजिए, अप्रैल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नालंदा में कहा था कि अब नीतीश से कोई समझौता नहीं हो सकता।
रघुवर फिर बनाए गए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
गौरतलब है कि कल ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के केंद्रीय पदाधिकारियों की टीम (Team of Central Officers) में बदलाव किया है।
टीम में राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन), राष्ट्रीय सह संगठन- महामंत्री, कोषाध्यक्ष, सह-कोषाध्यक्ष, 8 राष्ट्रीय महामंत्री, 13 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और 13 राष्ट्रीय सचिव शामिल हैं।
इसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास तो फिर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और रांची की पूर्व मेयर आशा लकड़ा को सचिव बनाया गया है। PM Narendra Modi ने 31 जुलाई को लोकसभा चुनाव को लेकर झारखंड, बंगाल, ओडिशा के लोकसभा-राज्यसभा के सभी सांसदों व संगठन प्रभारियों की बैठक बुलाई है। इसमें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास भी शामिल होंगे।