बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने राष्ट्रीय सुरक्षा को जनहित से ऊपर बताते हुए भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) द्वारा एक चीनी कंपनी (Sugar Company) से संबंध रखने वाली एक निजी कंपनी को दिए गए टेंडर को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया।
पीठ ने कहा, “सक्षम प्राधिकारी के साथ पंजीकरण की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना केवल जनहित का दावा राष्ट्रीय हित के खिलाफ नहीं किया जा सकता है।”
अदालत ने BHEL के इस तर्क को खारिज कर दिया कि इस स्तर पर हस्तक्षेप से परियोजना को लागू करने में देरी होगी। पीठ ने इस तर्क पर भी ध्यान नहीं दिया कि टेंडर रद्द करने से सरकार के खजाने पर वित्तीय दबाव पड़ेगा क्योंकि 50 फीसदी काम पहले ही पूरा हो चुका है।
क्या है मामला?
BHEL ने कोलकाता स्थित बीटीएल ईपीसी लिमिटेड (BTL EPC Limited) को टेंडर दिया था, जिसने तेलंगाना में थर्मल पावर स्टेशन (Thermal Power Station) की स्थापना के एक हिस्से के रूप में 378 करोड़ रुपये का ऐश हैंडलिंग प्लांट स्थापित करने के लिए 2022 में एक चीनी कंपनी फ़ुज़ियान लॉन्गकिंग कंपनी लिमिटेड (Fujian Longking Company Limited) के साथ एक कंसोर्टियम समझौता किया था।
मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले (B. Varale) और न्यायमूर्ति एम.जी.एस. कमल (MGS Kamal) की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस संबंध में पिछले दिनों आदेश दिया था।
याचिका नोएडा स्थित कंपनी मैकॉबर बी.के. प्राइवेट लिमिटेड (Macober B.K. Private Limited) द्वारा दायर की गई थी, जिसने 2022 में एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी। एकल पीठ ने चीनी फर्म के साथ संबंध रखने वाली कंपनी को टेंडर देने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
पीठ ने कहा…
डबल बेंच ने रेखांकित किया कि भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों के बोलीदाताओं के लिए सक्षम प्राधिकारी के साथ पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा हित में 23 जुलाई 2020 को आदेश जारी किया गया था।
पीठ ने कहा कि बीटीसी ईपीसी लिमिटेड (BTC EPC Limited) तकनीकी रूप से बोली के लिए योग्य नहीं थी और चीनी कंपनी के साथ उसके कंसोर्टियम ने उसे बोली के लिए योग्यता प्रदान की थी।
पीठ ने नहीं किया वकील के तर्क को स्वीकार
बीटीसी ईपीसी लिमिटेड (BTC EPC Limited) के वकील ने कहा कि वह बोली में भाग लेने वाली एकमात्र कंपनी थी और चीनी कंपनी के साथ उसका कंसोर्टियम केवल डिजाइन और इंजीनियरिंग प्रदान करने के लिए था। लेकिन पीठ ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया।
पीठ ने BHEL को अपीलकर्ता नोएडा स्थित कंपनी की बोली पर विचार करने का निर्देश दिया। पीठ ने BHEL को उच्चतम न्यायालय में अपील करने के लिए चार सप्ताह का समय भी दिया है।