नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ (D.Y. Chandrachud) की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) राज्य का विशेष दर्जा हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के 2019 के राष्ट्रपति आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई शुरू की।
संविधान पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बी.आर. गवई और सूर्यकांत भी शामिल हैं। सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर पीठ 2 अगस्त से लगातार मामले की सुनवाई करेगी।
याचिकाकर्ता पक्ष ने अदालत द्वारा नियुक्त नोडल वकील (Nodal Counsel) के माध्यम से संविधान पीठ को एक नोट सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि मौखिक बहस के लिए लगभग 60 घंटे लगेंगे।
कौन कौन से वकील हैं शामिल
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, दुष्यंत दवे, शेखर नफाड़े, दिनेश द्विवेदी, जफर शाह, सी.यू. सिंह, प्रशांतो चंद्र सेन, संजय पारिख, गोपाल शंकरनारायणन, डॉ. मेनका गुरुस्वामी, नित्या रामकृष्णन, पी.वी. सुरेंद्रनाथ मामले में याचिकाकर्ताओं और अन्य हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से दलीलें पेश करेंगे।
वहीं, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी (R. Venkataramani) और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) मुख्य रूप से केंद्र सरकार का पक्ष रखेंगे।
इससे पहले 2 मार्च 2020 से सुनवाई-पूर्व आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए हाल ही में 11 जुलाई को याचिकाओं की सुनवाई की गई, जब एक अन्य संविधान पीठ ने मामले को सात-न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजने की आवश्यकता के खिलाफ फैसला सुनाया। जम्मू और कश्मीर
2019 में हुई थी बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर
पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को चुनौती देने के लिए राजनीतिक दलों, निजी व्यक्तियों, वकीलों, कार्यकर्ताओं आदि द्वारा बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसने तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर औश्र लद्दाख में विभाजित कर दिया है।
केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष हाल ही में दायर एक हलफनामे में Jammu and Kashmir की विशेष स्थिति को रद्द करने का बचाव करते हुए कहा है कि अनुच्छेद 370 को कमजोर करने के उसके फैसले से क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास, प्रगति, सुरक्षा और स्थिरता आई है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय का बयान…
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि आतंकवादियों और अलगाववादी नेटवर्क द्वारा सड़क पर की जाने वाली हिंसा अब अतीत की बात हो गई है।
“आतंकवाद-अलगाववादी एजेंडे से जुड़ी संगठित पथराव की घटनाएं, जो 2018 में 1,767 थीं 2023 में शून्य पर आ गई हैं।”
कश्मीरी पंडितों ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को दिया गया विशेष दर्जा छीनने के केंद्र के कदम का समर्थन करते हुए हस्तक्षेप आवेदन भी दायर किया है।