रांची : झारखंड में फर्जी डिग्रियों (Fake Degrees) पर नौकरी करने वाले शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। ऐसे 225 सहायक शिक्षकों को बर्खास्त (Assistant Teachers Sacked ) कर दिया गया है। सभी शिक्षक गिरिडीह जिले के हैं।
इन सहायक शिक्षकों (Assistant Teachers) पर फर्जी डिग्रियों के सहारे 17 साल नौकरी किये जाने की पुष्टि के बाद ये कार्रवाई की गई है। इन सभी सहायक शिक्षकों का चयन प्रखंड शिक्षा समितियों (Block Education Committees) की अनुशंसा पर किया गया था।
प्रमाण पत्र निकले फर्जी
बताते चलें कि राज्य में कई जिलों से ऐसी शिकायतें पहले भी मिलती रही हैं। जिन शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, इन सभी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयागराज, प्रयाग महिला विद्यापीठ प्रयागराज, भारतीय शिक्षा परिषद लखनऊ और गुरुकुल विश्वविद्यालय वृंदावन मथुरा से जारी शैक्षणक प्रमाण पत्र जमा किये थे।
फर्जी शिक्षकों के कार्य पर रोक
इनकी डिग्रियों को लेकर शिक्षा विभाग को संशय था। उनके प्रमाण पत्रों की जांच करायी गई। इस संबंध में उत्तर प्रदेश (U.P) के माध्यमिक शिक्षा सचिव (Secondary Education Secretary) ने अपने पत्र में जवाब दिया कि चारों शिक्षण संस्थान उनके यहां सूचीबद्ध नहीं हैं।
इसके बाद DSE विनय कुमार (Vinay Kumar) ने कार्रवाई करते हुए इन सभी शिक्षकों के एक अगस्त से उनके कार्य करने पर रोक लगा दी है।
1000 रुपये प्रतिमाह मानदेय…
हालांकि पूर्व में उनके द्वारा किये गये कार्य के मानदेय का भुगतान किया जायेगा। बताते चलें कि वर्ष 2004 में सहायक प्राध्यापकों का चयन EGS अनुदेशक के रूप में किया गया था। उस समय उन्हें 1000 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता था। बाद में उनका चयन मैट्रिक की योग्यता के आधार पर किया गया।
योग्यता बढ़ाने का निर्देश दिया गया
फिर कुछ वर्षों बाद उन्हें योग्यता बढ़ाने का निर्देश (Instruction to Upgrade) दिया गया। इसके बाद इन सभी शिक्षकों ने ये इंटर (Inter) उत्तीर्ण के ये सर्टिफकेट जमा किये थे, जो अब जाकर जांच में जाली पाये गये हैं। इसके बाद उनके कार्य पर रोक लगाते हुए उनकी सेवा समाप्ति की कार्रवाई की गई है।
हड़बड़ी में हुई थी कार्रवाई
इधर, झारखंड प्रशिक्षित सहायक अध्यापक संघ (Jharkhand Trained Assistant Teacher Association) ने इस कार्रवाई का विरोध किया है।
संघ की महिला प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष गीता राज (Geeta Raj) कहना है कि इस कार्रवाई के पूर्व राज्य के कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग (Personnel and Administrative Department) से कंसेंट नहीं लिया गया। काफी हड़बड़ी में ये कार्रवाई की गई है। इसके खिलाफ हम हाईकोर्ट में गुहार लगायेंगे।