कोलकाता: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पश्चिम बंगाल में मैट्रिकुलेशन, अधिवास और जाति के जाली प्रमाणपत्रों (Forged certificates) के आधार पर केंद्रीय पुलिस बलों में लोगों की कथित भर्ती के मामले (Alleged Recruitment Cases) में पहली सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की है।
गुरुवार को एक अधिकारी ने बताया कि CBI ने आठ अगस्त को FIR दर्ज की थी।
बिष्णु चौधरी (Bishnu Chowdhary) नाम के एक व्यक्ति की याचिका के बाद दो अगस्त को कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर FIR दर्ज की गई थी, जिसने आरोप लगाया था कि उसे अपराध करने के लिए दो लोगों के साथ काम करने के लिए मजबूर किया गया था।
सशस्त्र बलों में भर्ती में गलत काम का कोई सबूत नहीं मिला
चौधरी ने कहा कि उन्हें सशस्त्र बलों और केंद्रीय पुलिस बलों में कर्मियों की भर्ती में एक बड़े घोटाले के बारे में पता चला है और दावा किया है कि कुछ पाकिस्तानी नागरिकों को भी भर्ती किया गया होगा।
याचिका के लंबित रहने के दौरान CBI द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में सशस्त्र बलों में भर्ती में गलत काम का कोई सबूत नहीं मिला। लेकिन ऐसे चार मामले सामने आए जहां केंद्रीय पुलिस बलों में जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया है।
CBI का प्रतिनिधित्व करने वाले डिप्टी सॉलिसिटर जनरल (Deputy Solicitor General) ने अदालत को बताया कि पश्चिम बंगाल राज्य एक सीमावर्ती राज्य होने के कारण केंद्रीय अर्ध-सैन्य बल (CPMF) में रोजगार के लिए परीक्षाओं में कम कट-ऑफ अंक प्रदान करता है।
ऐसा लगता है कि इसने अन्य राज्यों, विशेषकर देश के उत्तरी हिस्सों के लोगों ने जाली दस्तावेज़ बनाए ताकि वे ये साबित कर सकें कि वे पश्चिम बंगाल के निवासी हैं।
जय सेनगुप्ता ने फैसले में कहा…
निवास प्रमाण पत्र, मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र फर्जी बनाये गये हैं। यह अधिक गहन जांच का विषय होगा कि क्या विदेशी नागरिकों ने भी भारतीय बलों में नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए इसी पद्धति का सहारा लिया है।
न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता (Jai Sengupta) ने फैसले में कहा कि CBI को जाली दस्तावेजों का उपयोग करके CPMF में कर्मियों की अवैध भर्ती से जुड़े कथित अपराधों में एक औपचारिक आपराधिक मामला दर्ज करने दें और उसके बाद इसकी जांच करें।
उत्तर 24 परगना निवासी महेश कुमार चौधरी और हावड़ा निवासी राजू गुप्ता के साथ-साथ अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी) और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।