रांची : झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने देवघर एम्स (Deoghar AIIMS) में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) की जनहित याचिका मामले में राज्य के चीफ सेक्रेटरी यानी मुख्य सचिव (CS) एवं एम्स देवघर के डायरेक्टर को अगली सुनवाई एक सितंबर को कोर्ट के समक्ष वर्चुअल रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने राज्य सरकार की ओर से पूर्व में दायर शपथ पत्र पर का प्रत्युत्तर दिया।
मामले की सुनवाई एक सितंबर निर्धारित की
उनकी ओर से कहा गया कि मामले में पथ निर्माण विभाग, बिजली विभाग, फायर विभाग सहित अन्य विभागों ने अलग-अलग जवाब दाखिल किया है लेकिन इन जवाबों में एम्स द्वारा उठाए गए बिंदुओं का सटीक जवाब नहीं मिल रहा है।
सरकार के सक्षम अधिकारियों द्वारा देवघर एम्स को लेकर प्रार्थी द्वारा उठाए गए समस्याओं पर स्पष्ट जवाब आना चाहिए था।
इसके बाद कोर्ट ने देवघर एम्स निदेशक और मुख्य सचिव को वर्चुअल रूप से कोर्ट के समक्ष अगली सुनवाई में उपस्थित रहने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई एक सितंबर निर्धारित की।
पथ निर्माण विभाग ने मामले में शपथ पत्र दाखिल
शुक्रवार को चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई हुई।
राज्य सरकार के पथ निर्माण विभाग (Road Construction Department) ने मामले में शपथ पत्र दाखिल किया है। इसमें बताया गया है की एम्स ने अपना गेट का स्थान नहीं बताया है।
इस कारण एम्स के लिए अप्रोच रोड नहीं बन पा रहा है। याचिकाकर्ता ने देवघर एम्स में इलेक्ट्रिक सबस्टेशन बनने, अप्रोचिंग रोड बनने, फ्लाईओवर बनने, आवश्यकतानुसार पानी की व्यवस्था होने, फायर सेफ्टी की पर्याप्त व्यवस्था आदि की सुविधा मुहैया कराने का आग्रह राज्य सरकार से किया गया है। एम्स देवघर की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पैरवी की।