Chemicals in Cosmetics: कुछ सालों में भारत में मेकअप इंडस्ट्री (Makeup Industry) काफी बड़े स्तर पर फ़ैल चुकी है। अब तो आलम ऐसा की महिलाएं खुद को बिना मेकअप देखना भी पसंद नहीं करती।
बहुत सारी महिलाएं ऐसी हैं, जो खुद को मेकअप के बिना Confident Feel नहीं करती। लेकिन क्या आप अपने शरीर पर जो प्रोडक्ट यूज (Product Use) कर रहे हैं वो सेफ है।
रोजाना नए-नए कॉस्मेटिक प्रोडक्ट लॉन्च (New cosmetic product launch) होते हैं। ये प्रोडक्ट अलग-अलग तरह से होते हैं और उनको बनाने, यूज करने का तरीका भी अलग होता है।
अक्सर देखा जाता है कि लोग मेकअप के सामान का लेवल चेक नहीं करते कि उसमें कौन-कौन सी चीजें मिली हुई हैं। आइए आज आपको इसी के बारे में बताते हैं।
बालों में लगने वाले कैमिकल
बालों को सीधा करने वाले कैमिकल से गर्भाशय कैंसर (Uterine Cancer) का जोखिम बढ़ जाता है।
इससे डिम्बग्रंथि और स्तन कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है क्योंकि इसमें पैराबेंस, बिस्फेनॉल ए और फॉर्मेल्डिहाइड (Parabens, Bisphenol A and Formaldehyde) जैसे खतरनाक कैमिकल पाए जाते हैं और वे सीधे खोपड़ी में अवशोषित हो जाते हैं।
वाटरप्रूफ मस्कारा
एंजेला (Angela) ने कहा, ‘मैं पहले Waterproof Mascara ही खरीदती थी लेकिन पता चला है कि मस्कारा को Waterproof बनाने के लिए कंपनियों को उसमें पर-एंड-पॉली-फ्लोरो अल्काइल सब्स्टेंसेस (Per-And-Poly-Fluoro Alkyl Substances) जोड़ना पड़ता है।
Perfluoroalkyl पदार्थ तेल और पानी के प्रति रेजिस्टेंस होते हैं जो लंबे समय तक उसे बनाए रखते हैं। PFAS को काफी खतरनाक माना जाता है जो किडनी, हाई कोलेस्ट्रॉल, इनफर्टिलिटी और दिमागी बीमारियों का कारण भी बन सकता है।
ड्राई शैम्पू
एंजेला का कहना है, ‘ड्राई शैम्पू (‘Dry Shampoo’) का भी कभी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पहले मैं भी हर दूसरे दिन इसका यूज करती थी लेकिन अब सोचती हूं कि काश मैंने ऐसा ना किया होता।
दरअसल, ड्राई शैम्पू में बेंजीन नामक एक हानिकारक रसायन होता है जो कार्सिनोजेन (Carcinogen) है जिसके काफी कम इस्तेमाल से भी कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
2019 में हेल्थ इंग्लैंड (Health England) की बेंजीन के लंबे समय तक संपर्क में रहने से कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं जिनमें व्हाइट ब्लड वेसिल्स (White Blood Vessels) की, Leukemia और DNA को नुकसान शामिल है।
बेंजीन प्रोडक्ट (Benzene Product) में मौजूद होता है और उसे लगाने या स्प्रे करने के बाद वह हवा में तैरता रहता है। सांस के द्वारा वह बच्चों या बड़ों तक पहुंच जाता है और उनमें बीमारियों का कारण बन सकता है।