बैंकाक : थाईलैंड में राजनीतिक उथलपुथल तेज हो गई है। संसद ने श्रेथा थाविसिन (Shretha Thavisin) को थाईलैंड का नया प्रधानमंत्री (New Prime Minister of Thailand) नियुक्त किया है। पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा 15 साल बाद देश पहुंचते ही जेल भेज दिए गए हैं।
थाईलैंड में मंगलवार को संसद ने रियल एस्टेट (Real Estate) के दिग्गज श्रेथा थाविसिन को अगले प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया। सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संसदीय समर्थन जुटाने में थाविसिन की सफलता के बाद यह फैसला हुआ है।
इसके लिए सोमवार को थाविसिन और उनके पूर्व सैन्य प्रतिद्वंद्वियों के बीच समझौता हुआ था। मंगलवार को देश में नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति के दिन ही पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा 15 साल से अधिक समय तक स्व-निर्वासन के बाद देश लौट आए हैं।
बैंकॉक के डॉन मुएंग इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचे
74 वर्षीय थाकसिन 2001 में थाईलैंड के प्रधानमंत्री बने थे और 2006 मं सैन्य तख्तापलट के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था।
थाकसिन मंगलवार सुबह 9 बजे एक निजी विमान से बैंकॉक के डॉन मुएंग इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Don Mueang International Airport) पर पहुंचे। उन्होंने समर्थकों की भीड़ का अभिवादन किया और थाईलैंड के राजा की फोटो को नमन किया।
इससे पहले जारी एक वीडियो में थाकसिन को सिंगापुर में फ्लाइट में चढ़ने से पहले अपनी बहन यिंगलक शिनावात्रा को गले लगाते हुए दिखाया गया है, जो स्व-निर्वासन में रहती हैं।
यिंगलक को 2011 में थाईलैंड की पहली महिला प्रधान मंत्री के रूप में चुना गया था, लेकिन संवैधानिक न्यायालय से अपने पद का दुरुपयोग करने के फैसले के बाद 2014 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आठ साल की सजा सुनाई
पूर्व सेना प्रमुख प्रयुत चान-ओ-चा ने 2014 में सत्ता छीन ली और यिंगलक ने थाकसिन के बाद स्व-निर्वासन कर लिया। प्रयुत ने तब से थाईलैंड पर शासन किया है, उन्होंने जुलाई में घोषणा की थी कि वह दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगे और राजनीति से संन्यास ले लेंगे।
थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा को वतन वापसी के तुरंत बाद मंगलवार को हिरासत में लिया गया, क्योंकि थाईलैंड के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आठ साल की सजा सुनाई है।
इसमें लॉटरी परियोजना में भ्रष्टाचार के लिए दो साल की सजा, म्यांमार मामले में निर्यात-आयात बैंक ऋण में शामिल होने के लिए तीन साल की सजा और मोबाइल फोन रियायत संशोधन मामले (Concession Amendment Cases) में उनकी भूमिका के लिए तीन साल की सजा शामिल है।