नई दिल्ली: केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ISRO के चन्द्रयान मिशन (Chandrayaan Mission) की सफलता के लिए देश के वैज्ञानिकों की सराहना की है और कहा है कि यह हमारी अंतरिक्ष एजेंसी की ही सफलता नहीं है बल्कि भारत की प्रगति और ग्लोबल स्टेज (Global Stage) पर हमारी ताकत का भी प्रतीक है। कैबिनेट इस बात का स्वागत करती है कि अब 23 अगस्त को ‘नेशनल स्पेस डे’ के तौर पर मनाया जाएगा।
केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने मंगलवार को कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि कैबिनेट इसरो के प्रयासों के लिए उसे बहुत-बहुत बधाई देती है।
हमारे वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयासों की वजह से भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के समीप उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
चंद्रमा पर उतरना, वो भी पूर्व निर्धारित पैरामीटर्स पर पूरी तरह खरा उतरते हुए, अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। तमाम चुनौतियों को पार करते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के समीप उतरना इस भावना का प्रतीक है कि कैसे हमारे वैज्ञानिक ज्ञान (Scientific Knowledge) की खोज के लिए हर सीमा के पार जाने के लिए तैयार रहते हैं।
अंतरिक्ष प्रोग्राम में महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है
प्रज्ञान रोवर के द्वारा हमें जो जानकारियों का खजाना मिल रहा है, उससे हमारे ज्ञान में वृद्धि होगी, नई खोज का मार्ग बनेगा और चंद्रमा के रहस्यों को समझने और उसके भी पार जाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि Cabinet का यह मानना है कि तेजी से बदलते तकनीक और इनोवेशन के दौर में हमारे वैज्ञानिक ज्ञान, समर्पण और विशेषज्ञता की मिसाल हैं।
भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम में महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। कैबिनेट को गर्व है कि चंद्रयान-3 की सफलता में भी हमारी महिला वैज्ञानिकों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यह सफलता आने वाले वर्षों में भी हमारी महिला वैज्ञानिकों को प्रेरित करती रहेगी।
कैबिनेट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इंडियन स्पेस प्रोग्राम के प्रति उनके विजन और लीडरशिप के लिए बधाई देती है। उनके नेतृत्व में इंडियन स्पेस प्रोग्राम पूरी मानवता के कल्याण का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है।
मोदी के अटूट भरोसे ने वैज्ञानिकों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की प्रेरणा दी
प्रधानमंत्री मोदी के अटूट भरोसे ने हर बार हमारे वैज्ञानिकों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की प्रेरणा दी है।
कैबिनेट चंद्रयान मिशन से जुड़े दो महत्वपूर्ण बिन्दू का नाम तिरंगा (चंद्रयान-2 के पदचिह्न जहां पड़े) और ‘शिवशक्ति’ (चंद्रयान-3 जहां उतरा) रखने का भी स्वागत करती है।
ये नाम हमारे गौरवशाली इतिहास और आधुनिकता की भावना दोनों के अनुरूप हैं। ये सिर्फ दो नाम नहीं हैं, बल्कि ये हमारी हजारों वर्ष पुरानी विरासत औऱ आज की वैज्ञानिक आकांक्षाओं वाले भारत को एक सूत्र में पिरोती हैं।
कैबिनेट चंद्रयान मिशन से जुड़े हर व्यक्ति के योगदान की सराहना करती है। चंद्रयान-3 की सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारत अपने सामर्थ्य, अपने जज्बे और समर्पण के बल पर कुछ भी हासिल कर सकता है।
कैबिनेट को विश्वास है कि चंद्रयान की सफलता के बाद जोश और गर्व से भरे हुए हमारे देश के लोग, मिलकर 2047 तक भारत को विकसित बनाने के संकल्प को जरूर साकार करेंगे।