नई दिल्ली : इसी माह इंडियन एयर फोर्स को पहला C-295 Transport Aircraft मिल जाएगा। यह बात एयरबस कंपनी के इंडिया प्रेसिडेंट रेमी मैलार्ड ने कही है। उन्होंने यह बात गति शक्ति विश्विद्यालय के साथ हुए समझौते के बाद कही।
इस यूनिवर्सिटी में एविएशन सेक्टर के लिए इंजीनियर्स तैयार किए जाएंगे। एयरबस के अनुसार एयरफोर्स चीफ एयर मार्शल वीआर चौधरी स्पेन के सेवील जाकर पहला विमान रिसीव करेंगे। स्पेन और भारत के बीच 56 विमान बनाने का समझौता हुआ है।
पहले 16 विमान स्पेन में बनेंगे। बाकी के 40 को टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) बनाएगी। टाटा वडोदरा में फैक्ट्री बना रहा है। फैक्ट्री 2026 तक बन जाएगी।
C295 कम वजन के ट्रांसपोर्टेशन में मदद करेगा
टीएएसएल भारत की पहली विमान बनाने वाली निजी कंपनी होगी। भारतीय वायुसेना के लिए ट्रांसपोर्ट विमान बेहद जरूरी हैं। ताकि सैनिकों, हथियारों, ईंधन और हार्डवेयर को एक जगह से दूसरी जगह पहुचा सकें।
इसमें C295 कम वजन के ट्रांसपोर्टेशन में मदद करेगा। C-295 विमान को दो लोग उड़ाते हैं। इसमें 73 सैनिक या 48 पैराट्रूपर्स या 12 स्ट्रेचर इंटेसिव केयर मेडवैक या 27 स्ट्रेचर मेडवैक के साथ 4 मेडिकल अटेंडेंट सफर कर सकते हैं।
यह एक बार में अधिकतम 9250 किलोग्राम वजन उठा सकता है। इसकी लंबाई 80.3 फीट, विंगस्पैन 84.8 फीट और ऊंचाई 28.5 फीट है।
इस एयरक्राफ्ट में छह हार्डप्वाइंट्स
इस एयरक्राफ्ट में 7650 लीटर फ्यूल आता है। यह अधिकतम 482 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता है। इसकी रेंज 1277 किलोमीटर से 4587 किलोमीटर तक है। यह उसमें लदे वजन के ऊपर निर्भर करता है। लेकिन फेरी रेंज 5 हजार किलोमीटर है। अधिकतम 13,533 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसे उड़ान भरने के लिए 844 मीटर से 934 मीटर लंबाई वाला रनवे चाहिए होता है।
उतरने के लिए मात्र 420 मीटर का रनवे चाहिए होता है। इसमें छह हार्डप्वाइंट्स (Six Hardpoints) होते हैं। यानी हथियार और बचाव प्रणाली लगाने की जगह। दोनों विंग्स के नीचे तीन-तीन. या फिर इनबोर्ड पाइलॉन्स हो सकते हैं। जिसमें 800 किलोग्राम के हथियार लगाए जा सकते हैं।
भारतीय वायुसेना के पास इतने तरह का विमान है
टाटा ने पिछले साल नवंबर से 40 सी295 विमानों के लिए मेटल कटिंग का काम शुरू कर दिया है। हैदराबाद फिलहाल इसकी मेन कॉन्स्टीट्यूंट एसेंबली है। वहां पर कई पार्ट्स को जमाएंगे। टाटा की हैदराबाद फैसिलिटी एयरक्राफ्ट के प्रमुख हिस्सों को फैब्रिकेट करेगी। इसके बाद उसे वडोदरा भेजा जाएगा। वडोदरा में सभी C-295 विमान को अंतिम रूप दिया जाएगा।
जिसमें इंजन लगेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स सेट किए जाएंगे। इसके बाद उसे वायुसेना को दिया जाएगा। माना जा रहा है 32वें नंबर का विमान स्वदेशी होगा। भारतीय नौसेना और भारतीय कोस्ट गार्ड यह चाहती है कि आखिरी के 9 विमानों को समुद्री निगरानी के हिसाब से बनाया जाए। भारतीय वायुसेना के पास 9 तरह के ट्रांसपोर्ट विमान है।
जिसमें C-130जे सुपर हर्क्यूलिस और सी-17 ग्लोबमास्टर 3 भी हैं। फिलहाल वायुसेना के पायलट्स के पहले बैच ने इस विमान को उड़ाने की ट्रेनिंग ले ली है। दूसरे बैच के ट्रेनिंग की तैयारी चल रही है। C295 विमान इंडियन एयरफोर्स के पुराने HS748 एवरोस विमानों की जगह लेंगे। इसके अलावा यूक्रेन से आए एंतोनोव एएन-32 को बदला जाएगा।