रांची: अनुबंध सहायक प्राध्यापक अपनी मांगों को धरने पर बैठ गए हैं। साथ ही राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के पीजी विभाग और अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक साथ दे रहे है।
एकजुटता दिखाते हुए गुरुवार को उन्होंने राजभवन के सामने अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
इनका कहना है कि मौजूदा सरकार ने विपक्ष में रहते हुए वादा किया था कि सरकार बनने पर आप सभी की मांगें पूरी की जाएंगी पर तीन वर्षों तक सेवा लेने के बाद 31 मार्च से हमारी सेवा भी समाप्त कर रही है।
प्राध्यापकों का कहना है कि मांगे पूरी होने तक हम सभी सत्याग्रह आंदोलन पर शांति पूर्वक बैठे रहेंगे।
कहा कि उच्च शिक्षा विभाग ने घंटी आधारित अनुबंध शिक्षक के पुनर्चयन के लिए नए पैनल के गठन का निर्देश देकर हमारे साथ अन्याय किया गया है।
इसे अविलंब संशोधित करने और प्राध्यापकों को निश्चित मासिक मानदेय के साथ 65 वर्षों की आयु तक सेवा विस्तार करने की मांग सरकार से की गई है।
इससे पूर्व उच्च, तकनीकी, शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा यूजीसी अर्हता के आधार पर कुलपति की अध्यक्षता में गठित चयन समिति और बाह्य विषय विशेषज्ञ की उपस्थिति में साक्षात्कार और शैक्षणिक प्राप्तांक के आधार पर रोस्टर प्रणाली का पालन करते हुए स्वीकृत रिक्त पदों पर तैयार मेधा सूची से अनुशंसित घंटी आधारित संविदा सहायक प्राध्यापक विगत तीन वर्षों से कार्यरत हैं।
इनके पैनल अवधि का विस्तार 31 मार्च तक के लिए किया गया है।
शिक्षकों ने मांग की कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा प्रकाशित होने वाले विज्ञापन पर अविलंब रोक लगाते हुए वर्तमान में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों के पैनल का विस्तार 65 वर्षों की आयु तक निश्चित मासिक मानदेय के साथ किया जाए।
इसके बाद रिक्त पदों के लिए विज्ञापन प्रकाशित किए जाएं।
मौके पर डॉ प्रभाकर कुमार, डॉ एसके झा, डॉ सुमंत कुमार, डॉ अंजना, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, डॉ मंटू कुमार सिंह, डॉ बीएन साहू, डॉ सी पांडे, डॉ स्वाति वत्स, डॉ साधना कुमारी, डॉ व्यास कुमार, राजू कुमार बराइक, डॉ बासुदेव प्रजापति, राजीव कुमार, डॉ गोपीनाथ पांडे आदि उपस्थित रहे।