रांची : झाखंड हाई कोर्ट (Jhakhand High Court) में नवांगीभूत महाविद्यालय, मांडर के तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मियों (Class III and IV Employees) को पंचम पुनरीक्षित वेतनमान दिलाने का आग्रह करने वाली मोहम्मद सलीम एवं अन्य की याचिका की सुनवाई हुई।
मामले में कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक को चार सप्ताह के अंदर याचिकाकर्ताओं को पंचम पुनरीक्षित वेतनमान का भुगतान करने का निर्देश दिया।
हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक के इस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि आयोग की रिपोर्ट में याचिकाकर्ताओं का नाम नहीं था इसलिए इन्हें पंचम पुनरीक्षित वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा सकता।
कोर्ट ने कहा…
कोर्ट ने कहा कि चूंकि विश्वविद्यालय द्वारा याचिकाकर्ताओं को पंचम पुनरीक्षित वेतनमान देने की अनुशंसा कर दी गई थी। ऐसे में उच्च शिक्षा निदेशक को भी इस पर सहमति देनी चाहिए थी।
राज्य सरकार को पावर नहीं है कि जब विश्वविद्यालय ने पंचम पुनरीक्षित वेतनमान के संबंध में किसी के नाम के अनुशंसा कर फिक्सेशन कर भेजा है तो वह इस अनुशंसा को दरकिनार करते हुए उसे पंचम पुनरीक्षित वेतनमान का भुगतान न करे। सुनवाई के दौरान उच्च शिक्षा निदेशक कोर्ट में सशरीर उपस्थित थे।
उच्च शिक्षा निदेशक ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जस्टिस SB सिन्हा एवं जस्टिस SC अग्रवाल के आयोग की रिपोर्ट में याचिकाकर्ताओं का नाम नहीं था।
इस कारण उन्हें पंचम पुनरीक्षित वेतनमान नहीं दिया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय ने पंचम पुनरीक्षित वेतनमान के लिए उनके नाम की अनुशंसा करते हुए राज्य सरकार को भेजा था।
इस पर कोर्ट ने कहा कि जब विश्वविद्यालय ने याचिकाकर्ताओं को पंचम पुनरीक्षित वेतनमान (Revised Pay Scale) देने की अनुशंसा कर दी है तो उच्च शिक्षा निदेशक को भी अप्रूवल देना चाहिए था।