संयुक्त राष्ट्र: कई देशों में कोविड के टीके आ जाने के बावजूद दुनिया भर में कोरोना का संकट अभी पूरी तरह से टला नहीं है।
विश्व अभी भी कई तरह के संकटों एवं चुनौतियों से जूझ रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने इनमें से तीन प्रमुख ग्लोबल इमरजेंसी को चिन्हित कर उन पर तत्काल ध्यान केंद्रित करने का विश्व समुदाय का आह्वान किया है।
सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के मुताबिक, गुरुवार को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुतेरस ने कहा कि आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनमें तीन ऐसे ग्लोबल एमरजेंसी हैं जिन पर तत्काल ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
यूएन महासचिव ने कहा कि पहली ग्लोबल इमरजेंसी कोविड महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीन वितरण है। अब तक सात करोड़ लोगों को कोविड की वैक्सीन लगाई जा चुकी है, लेकिन इनमें 20 हजार से भी कम लोग अफ्रीकी महाद्वीप के हैं। वैश्विक स्तर पर यह जो असंतुलन है वह सबके लिए संकट का सबब बन सकता है।
उन्होंने कहा कि वैक्सीन राष्ट्रवाद एक आर्थिक और नैतिक नाकामी है।
यद्यपि हर देश का यह दायित्व है और कर्तव्य भी कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, लेकिन साथ ही यह भी है कि कोई भी देश अन्य देशों की अनदेखी नहीं कर सकता है।
यूएन महासचिव ने कहा कि हमें आर्थिक मोर्चे पर खाई को पाटना होगा।
साथ ही, तकनीक साझा करके एवं व्यापक स्तर पर लाइसेंस उपलब्ध कराकर वैक्सीन उत्पादन में तेजी लानी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी स्वास्थ्यकर्मियों एवं जिन्हें तत्काल जरूरत है, उन्हें टीका लगाना होगा।
गुतेरस ने बताया कि दूसरी ग्लोबल इमरजेंसी यह है कि उन देशों को तत्काल आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए, जिन्हें इसकी सख्त जरूरत है।
उन्होंने कहा कि निजी हित को सर्वोपरि रखने का आशय यह कतई नहीं कि हम बिल्कुल अकेले पड़ जाएं। इसके लिए समावेशी व समेकित प्रयास भी जरूरी है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था का आधार भी तो विकसित एवं विकासशील देशों के बीच आर्थिक लेनेदेन का बेहतर सामंजस्य ही है।
गुतेरस ने जलवायु संकट को तीसरा ग्लोबल इमरजेंसी बताया। उन्होंने कहा कि हमारे पास अभी यह अवसर है कि हम प्रकृति को लेकर औचित्यहीन संघर्षो को समाप्त करें और नैदानिक प्रक्रियाओं को शुरू करें।