काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान हिंसा पिछले साल अमेरिका के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बावजूद बढ़ी है। सुरक्षा एजेंसियों ने यह जानकारी दी।
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि तालिबान अभी भी अलकायदा के आतंकी समूह के साथ संबंध बनाए हुए है।
टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को एक संयुक्त बयान में रक्षा और आंतरिक मामलों के मंत्रालय एवं राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) ने कहा कि तालिबान ने अपने हमलों में वृद्धि की है, जिसमें सैन्य प्रतिष्ठानों पर कार बम हमला, सड़क के किनारे बम विस्फोट, चुंबकीय आईईडी विस्फोट और देश भर में लक्षित हत्याएं शामिल हैं।
इस दौरान हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने तालिबान के हमलों की संख्या पर कोई आंकड़े पेश नहीं किए।
एनएससी के प्रवक्ता रहमतुल्लाह अंदार ने कहा कि हाल ही में गिरफ्तार किए गए 11 अलकायदा के सदस्य तालिबानी रैंक में काम कर रहे थे।
उन्होंने कहा, गिरफ्तार किए गए लोगों में से तीन नेटवर्क के प्रमुख सदस्य हैं।
अफगान सांसदों का भी कहना है कि अमेरिका-तालिबान दोहा समझौते के बाद देश में लक्षित हत्याएं और हिंसा बढ़ गई हैं।
इस बीच, तालिबान के एक पूर्व सदस्य ने कहा कि जब इस्लामिक सरकार पर कोई समझौता होगा तो हिंसा बंद हो जाएगी।
पूर्व कमांडर सैयद अकबर आगा ने कहा, शांति वार्ता चल रही है। तालिबान ने कहा है कि वे हिंसा को रोकेंगे या फिर संघर्ष विराम पर सहमत होंगे। लेकिन ये सब तब संभव है, जब इस्लामी व्यवस्था हो।
अमेरिका और तालिबान ने 29 फरवरी, 2020 को ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें प्रावधान रखा गया था कि मई 2021 तक युद्धग्रस्त देश से अमेरिकी सैन्य बलों को पूरी तरह से वापस ले लिया जाएगा।
इसके साथ ही शर्त थी कि आतंकवादी समूह को आतंकवादी संगठनों और सभी आतंकी गतिविधियों से दूर रहना होगा।