नई दिल्ली : डॉलर मजबूत होने, अमेरिका में बांड पर प्रतिफल में बढ़ोतरी और कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Prices) में तेजी के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) सितंबर में भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) में शुद्ध बिकवाल रहे हैं।
लगातार छह माह तक लिवाली के बाद FPI ने सितंबर में भारतीय शेयर बाजारों से 14,767 करोड़ रुपए निकाले हैं। बाजार के जानकारों ने कहा कि आगे चलकर भारतीय बाजारों में FPI का प्रवाह अनिश्चित रहेगा।
काफी हद तक यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन, रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा और कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजों पर निर्भर करेगा।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने सितंबर में शुद्ध रूप से 14,767 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं। इससे पहले अगस्त में शेयरों में FPI का प्रवाह चार माह के निचले स्तर 12,262 करोड़ रुपए पर आ गया था। वहीं FPI मार्च से अगस्त तक लगातार छह माह भारतीय शेयरों में शुद्ध लिवाल रहे थे।
इस दौरान उन्होंने 1.74 लाख करोड़ रुपए के शेयर खरीदे थे। डॉलर की मजबूती की वजह से FPI बिकवाली कर रहे हैं। डॉलर सूचकांक 107 के करीब है।
FPI बिकवाल बने हुए हैं
इसके अलावा अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल आकर्षक बना हुआ है, ऐसे में FPI बिकवाल बने हुए हैं। ब्रेंट कच्चे तेल का दाम 97 डॉलर प्रति बैरल पर है। यह भी FPI की बिकवाली की एक वजह है।
अमेरिका और यूरो क्षेत्र में आर्थिक अनिश्चितता के अलावा वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर बढ़ती चिंता की वजह से भी FPI बिकवाली कर रहे हैं।
इन स्थितियों की वजह से FPI जोखिम लेने से बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा कच्चे तेल के ऊंचे दाम, महंगाई के आंकड़े और बढ़ती ब्याज दरें भी FPI की धारणा को प्रभावित कर रही हैं।
आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि में FPI ने ऋण या बांड बाजार में 938 करोड़ रुपए डाले हैं। इस तरह चालू कैलेंडर साल में अब तक शेयरों में FPI का निवेश 1.2 लाख करोड़ रुपए रहा है। वहीं बांड बाजार में उन्होंने 29,000 करोड़ रुपए से ज्यादा डाले हैं।