What Does Hamas Want : इज़राइल के शहरों पर आतंकवादी हमले (Terrorist Attacks) और उसके बाद क्रूर जवाबी हमले (Brutal Counter Attack) ने हमास समूह को सुर्खियों में ला दिया है।
फ़िलिस्तीनी आतंकवादी समूह (Palestinian Terrorist Group) ने शनिवार को इज़राइल पर 5,000 से अधिक रॉकेट दागे, जिससे इजराइल का एयर डिफेंस सिस्टम ‘आयरन डोम’ (‘Iron Dome’) भी लचर नजर आया। इससे भी हमास ने वैश्विक सुर्खियाँ बटोरीं।
हमास क्या चाहता है?
इस सवाल से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि हमास की शुरुआत कैसे हुई थी? हमास संगठन की स्थापना 1987 में मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड की एक शाखा के रूप में अहमद यासीन और अब्देल अजीज अल-रंतीसी (Ahmed Yassin and Abdel Aziz al-Rantisi) द्वारा की गई थी।
हमास का मतलब- ‘हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया’ (Harakat al-Muqawama al-Islamiyya’) होता है, जिसका अर्थ है इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन।
‘हमास’ (‘Hamas’) का अर्थ है उत्साह। 1988 में हमास चार्टर ने बताया कि उसका लक्ष्य फिलिस्तीन को आज़ाद कराना और इज़राइल के पश्चिमी क्षेत्र और गाजा पट्टी तक फैले क्षेत्र में एक इस्लामिक राज्य स्थापित करना था।
बाद के वर्षों में समूह ने कहा है कि यदि इज़राइल 1967 से पहले की सीमाओं पर पीछे हट जाता है, मुआवज़ा देता है और फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों को लौटने की अनुमति देता है, तो वह युद्धविराम को स्वीकार कर लेगा। उसने यह भी कहा है कि वह मुस्लिम ब्रदरहुड (Muslim Brotherhood) के साथ अपने संबंध खत्म कर देगा।
हालांकि, इज़राइल ने हमास की मांगों को खारिज कर दिया है और उस पर “दुनिया को बेवकूफ बनाने” की कोशिश करने का आरोप लगाया
हमास और फतह आमने-सामने
फिलिस्तीनी राजनीतिक परिदृश्य में हमास और फतह (Hamas and Fatah) आमने-सामने नजर आते हैं। फतह की स्थापना और नेतृत्व यासर अराफात ने किया था।
1990 के दशक में एक अर्धसैनिक संगठन के रूप में स्थापित फतह ने बाद में सशस्त्र प्रतिरोध छोड़ दिया और इजरायली के साथ 1967 की सीमाओं के अनुसार, फिलिस्तीन बनाने के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) के प्रस्ताव का समर्थन किया।
2004 में अराफात की मृत्यु (Arafat’s death) ने एक शून्य पैदा कर दिया, जिसके बीच हमास मजबूत होकर उभरा। 2007 में फतह के साथ गृहयुद्ध के बाद समूह ने गाजा पर नियंत्रण कर लिया।
तब से हमास ने गाजा पट्टी पर नियंत्रण कर लिया है, जबकि फतह के पास पश्चिमी क्षेत्र में सत्ता है।
जहां हमास खुद को इस्लामवादी (Islamist) बताता है, वहीं फतह धर्मनिरपेक्षता की वकालत करता है।
दोनों पक्षों का इज़राइल के प्रति दृष्टिकोण भी भिन्न है। हमास, इजराइल को मान्यता नहीं देता।
जहां हमास (Hamas) ने सशस्त्र प्रतिरोध का आह्वान किया है। वहीं, फतह ने कोई रास्ता निकालने के लिए बातचीत पर जोर दिया है।
पिछले कुछ दशकों से दोनों सेनाओं के बीच लगातार युद्ध चल रहा है। फतह का नेतृत्व वर्तमान में फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास द्वारा किया जाता है।
इजराइल (Israel) पर शनिवार को हुए हमलों के बाद जारी एक बयान में फिलिस्तीन ने हमास का नाम नहीं लिया और कहा कि उसने “राजनीतिक क्षितिज को अवरुद्ध करने और फिलिस्तीनी लोगों को आत्मनिर्णय के अपने वैध अधिकार का प्रयोग करने और लंबे समय तक स्थापित करने में सक्षम बनाने में विफल रहने के परिणामों के खिलाफ बार-बार चेतावनी दी है।
बता दें कि इजराइल अब लगातार हमास के ठिकानों पर हवाई हमले कर रहा है। हमास प्रमुख के गाजा स्थित घर पर हमला हुआ है।
हमास के समर्थन में कौन
हमास की एक सांस्कृतिक शाखा- “दावा” और एक सैन्य गुट, “इज़्ज़ अद-दीन अल-क़सम” ब्रिगेड है।
हमास को ईरान का समर्थन प्राप्त है। यह ईरान, सीरिया और लेबनान में इस्लामी समूह हिजबुल्लाह (Islamic group Hezbollah) वाले एक गुट का हिस्सा है।
गुट के सभी सदस्य क्षेत्र में अमेरिकी नीति का विरोध करते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) ने कहा है कि शनिवार को हमास के हमले “कब्जाधारियों के सामने फिलिस्तीनी लोगों के आत्मविश्वास” का सबूत थे।
हमास के फिलिस्तीन क्षेत्रों और मध्य पूर्व के अन्य देशों में समर्थक हैं। क्षेत्र में ईरान, सीरिया और यमन (Iran, Syria and Yemen) ने हमलों पर हमास का समर्थन किया है और उन्हें “गर्व” और “वीर” बताया है।
कतर ने इस स्थिति के लिए पूरी तरह से इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है।
अरब लीग और जॉर्डन (Arab League and Jordan) ने भी इज़राइल की नीतियों और वर्तमान संघर्ष से इसके संबंध पर प्रकाश डाला है। मिस्र, मोरक्को और सऊदी अरब ने संयम बरतने की सलाह दी है।