रांची : बिहार में कास्ट सर्वे यानी जातिगत सर्वेक्षण (Caste survey) के आंकड़े जारी होने के बाद अन्य राज्यों में भी इसकी आवाज उठने लगी है। झारखंड भी इससे अछूता नहीं है। यहां आंकड़ों का अनुमान भी लगाए जाने लगा है।
इस बीच राज्य के आदिवासी कल्याण एवं परिवहन मंत्री चंपई सोरेन (Champai Soren) ने कहा कि बिहार की तरह झारखंड सरकार भी शीघ्र जातीय जनगणना कराने जा रही है। कैबिनेट की अगली बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगेगी।
संभवतः दिसंबर से राज्य में जातीय जनगणना शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि देश में इंडिया गठबंधन की सरकार बनी, तो पूरे देश में जातीय जनगणना कराएगी और आबादी के अनुसार सभी वर्गों का आरक्षण तय करेगी।
आदिवासियों की संख्या लगभग 28 प्रतिशत
अनुमान लगाया जा रहा है कि बिहार की तरह झारखंड में भी अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा हो सकती है। आदिवासियों की संख्या में भी 2011 की जनगणना की तुलना में वृद्धि की संभावना है। दलित आबादी भी 1 से 2 फीसदी बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। दूसरी तरफ अगड़े वर्ग की आबादी 3 से 5 फीसदी हो सकती है।
जातिगत सर्वे के पक्ष में है आजसू, भाजपा नहीं
राज्य की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी झामुमो अब आहिस्ता-आहिस्ता आदिवासी राजनीति से ऊपर उठता नजर आ रहा है। लेकिन, अब तक झामुमो की राजनीति के केंद्र और मूल में आदिवासी ही रहे हैं।
अगर झारखंड में जातिगत गणना हुई और ओबीसी बहुसंख्यक हुआ, तो JMM की राजनीति को झटका लग सकता है। दूसरी तरफ अब आजसू पार्टी खुलकर जातिगत जनगणना के पक्ष में खड़ी होती नजर आ रही है। हालांकि भाजपा का साथ उसे नहीं मिल रहा है। यह आजसू पार्टी (Ajsu Party) के लिए चिंता की बात है।
सबकी अनुमानित आबादी, 2023 में
कुल आबादी : 4.06 करोड़
ओबीसी की अनुमानित आबादी
कुड़मी : 60 लाख
कुशवाहा : 30 लाख
वैश्य : 45 लाख
मुसलमान पिछड़ा वर्ग : 30 लाख
केवट, मल्लाह, बिंद, छीवर आदि : 30 लाख
कुम्हार, नाई, विश्वकर्मा, शर्मा, सोनार व अन्य : 40 लाख
यादव : 15 लाख
कुल ओबीसी : 55 %
आदिवासी : 1 करोड़ (28 फीसदी)
(2011 की जनगणना से 2% बढ़ोतरी का अनुमान)
दलित : 11-12 %, नोट : 2011 की जनगणना की तुलना में 1-2% वृद्धि की उम्मीद
सवर्ण : 3 से 5 %
दिसंबर से राज्य में शुरू होगी जातीय जनगणना : चंपई