Supreme Court : कई महिलाओं के साथ ऐसा होता है कि उन्हें बच्चा नहीं चाहिए होता और वे गर्भवती (Pregnant) हो जाती हैं । और कई बार ऐसा भी होता है कि मां या बच्चे के स्वास्थ्य के लिए गर्भ गिराने की आवश्यकता हो जाती है ।
सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला के 26 हफ्ते के गर्भ गिराने की अनुमति (Permission to Abort Pregnancy) को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने इस मामले में इलाज के लिए महिला को दी गई दवाओं के भ्रूण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में नई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
क्या है मामला
इस मामले में 26 सप्ताह के हेल्दी और व्यवहार्य भ्रूण के प्राकृतिक गर्भकालीन जीवन के अधिकार और प्रेगनेंट महिला (Pregnant Woman) को अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने की पसंद के मामले में कानून और नैतिकता से जुड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
अदालत इस नैतिक दुविधा से जूझ रही थी कि बच्चे के जन्म का आदेश दिया जाए या मां की पसंद का सम्मान किया जाए। ऐसे में शीर्ष अदालत ने अजन्मे बच्चे की स्थिति और महिला की मानसिक स्थिति पर AIIMS में एक मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट तलब की है।
26-सप्ताह के गर्भ को समाप्त करना चाहती महिला
यह मामला जस्टिस चंद्रचूड़ (Justice Chandrachud) की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष उस वक्त आया जब बुधवार को दो जजों की पीठ ने महिला को 26-सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने के अपने 9 अक्टूबर के आदेश को वापस लेने की केंद्र की याचिका पर खंडित फैसला सुनाया।
शीर्ष अदालत ने 9 अक्टूबर को महिला को यह ध्यान में रखते हुए गर्भ को चिकित्सीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दी थी कि वह अवसाद से पीड़ित है और ‘भावनात्मक, आर्थिक और मानसिक रूप से’ तीसरे बच्चे को पालने की स्थिति में नहीं है।
मामले की सुनवाई
मामले की सुनवाई करते हुए CJI डी.वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा (Manoj Mishra) की पीठ ने दूसरे दिन मामले की सुनवाई की। पीठ ने मेडिकल बोर्ड को एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया कि क्या MTP अधिनियम की धारा 3 की उपधारा (2)(बी) के अनुसार कोई महत्वपूर्ण असामान्यता है। इसके अलावा पीठ ने मेडिकल बोर्ड से कुछ सवालों के जवाब भी मांगे।
• क्या ऐसा कोई सबूत है, जो यह बताता हो कि प्रसवोत्तर मनोविकृति (Postpartum Psychosis) के इलाज के लिए निर्धारित दवाओं से गर्भावस्था को पूरी अवधि तक जारी रखना खतरे में हो जाएगा।
• यदि महिला प्रसवोत्तर मनोविकृति से पीड़ित है और उसे इसके इलाज की जरूरत है, तो क्या भ्रूण की सुरक्षा के लिए कोई वैकल्पिक दवा (Alternative Medicine) उपलब्ध है।
• एम्स की मेडिकल रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद अदालत सोमवार को मामले पर दोबारा सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा है?
• निस्संदेह, महिला की स्वायत्तता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अधिकार है, उसे संविधान के विभिन्न प्रावधानों के तहत अधिकार है… लेकिन समान रूप से, आपको इस तथ्य से भी अवगत होना चाहिए कि आप जो कुछ भी कर रहे हैं वह अजन्मे बच्चे के अधिकारों को प्रभावित करने वाला है।
• याचिकाकर्ता के वकील से पूछा- क्या आप चाहते हैं कि हम एम्स के डॉक्टरों (AIIMS Doctors) से कहें कि (वे) भ्रूण की दिल की धड़कने बंद कर दें।
• हमें अजन्मे शिशु के अधिकारों और माता के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।
• गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम के तहत गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा विवाहित महिलाओं और बलात्कार पीड़िताओं (Married Women and Rape Victims) सहित विशेष श्रेणियों और विकलांग तथा नाबालिगों के लिए 24 सप्ताह है।
• अगर बच्चा विकृति के साथ पैदा होता है, तो कोई भी उसे गोद नहीं लेगा।-भारत में लोग विकृत बच्चों को गोद लेना पसंद नहीं करते हैं और हालांकि कुछ अपवाद भी हैं, लेकिन लोग आमतौर पर ऐसा नहीं करते हैं।