Manish Sisodia Got No Relief from SC : दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
बता दें कि सिसोदिया बीते 8 महीनों से जेल में बंद हैं। दिल्ली शराब नीति (Delhi Liquor Policy) में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते मनीष सिसोदिया को इसी साल 26 फरवरी को अरेस्ट किया गया था।
ED और CBI की बड़ी जीत
मनीष सिसोदिया को जमानत नहीं मिलना जांच एजेंसियों – प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसियां इस आदेश को जमानत की सुनवाई के दौरान उनकी दलीलों और शीर्ष अदालत के समक्ष पेश किए गए सबूतों की स्वीकृति के रूप में देख रहे हैं।
क्यों खारिज होती रही है सिसोदिया की जमानत याचिका
मामले में नंबर एक आरोपी बनाए गए सिसोदिया को फरवरी में CBI ने गिरफ्तार किया था। सिसोदिया पर इस मामले में सबूत नष्ट करने और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर कुछ शराब कारोबारियों के लिए मौद्रिक लाभ के बदले में एक नीति लागू करने की साजिश रचने के आरोप हैं।
इसके बाद ED ने मार्च में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से पहले ट्रायल कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
सबूत नष्ट कर देना
जिन आरोपों के आधार पर सिसोदिया की जमानत अर्जी अदालत ने खारिज की उनमें से एक सबूतों को नष्ट करना भी है।जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, जनवरी 2020 से अगस्त 2022 के बीच मनीष सिसोदिया ने तीन मोबाइल हैंडसेट का इस्तेमाल किया।
CBI ने उनका आखिरी फोन 19 अगस्त, 2022 को जब्त कर लिया, जब जांच एजेंसी ने उनके घर की तलाशी ली। जब्त किया गया फोन 22 जुलाई 2022 से ही सिसोदिया द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा था, जिस दिन गृह मंत्रालय ने इस मामले को CBI को भेजा था।
अधिकारियों को संदेह है कि मनीष सिसोदिया को इस बात की भनक लगी कि इस मामले की जांच CBI करेगी तो उन्होंने अपना पुराना फोन नष्ट कर दिया और नया फोन इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
अधिकारियों को संदेह है कि मनीष सिसोदिया ने मामले में डिजिटल सबूतों से छेड़छाड़ करने के लिए फोन को नष्ट कर दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने अपने पहले आरोप पत्र में आरोप लगाया था कि अपराध की अवधि के दौरान सिसोदिया ने एक दर्जन से अधिक मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया और उनसे डिजिटल सबूत (Digital evidence) नष्ट कर दिए थे।
338 करोड़ का लेनदेन
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जांच एजेंसियों (Investigating Agencies) ने 338 करोड़ रुपये के लेन देन को अस्थायी रूप से साबित किया है। यह मनीष सिसोदिया के लिए बड़ा झटका है क्योंकि आम आदमी पार्टी दावा कर रही थी कि इस मामले में पैसे का कोई लेन-देन नहीं हुआ है।
एजेंसियों ने अदालत के समक्ष यह भी तर्क दिया था कि दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शराब नीति मामले (Liquor Policy Matters) में गवाहों को धमका सकते हैं। एजेंसियों ने कहा कि और अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो वो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं तो फिर मुकरने का प्रयास करेंगे।
आरोपियों से संबंध
मामले में अन्य मुख्य आरोपियों के साथ मनीष सिसोदिया का कथित जुड़ाव भी उनके खिलाफ गया है। सरकारी गवाह बने आरोपी दिनेश अरोड़ा ने एजेंसियों को दिए अपने बयान में आरोप लगाया था कि जब वह आबकारी मंत्री थे तब उनकी मुलाकात मनीष सिसोदिया से हुई थी।
अरोड़ा मनीष सिसोदिया के अलावा आप सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) सहित मामले के कुछ अन्य आरोपियों को भी जानते थे। जब कथित घोटाला हुआ तब मनीष सिसोदिया उत्पाद मंत्री थे।
एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि जब मनीष सिसोदिया मंत्रालय (Ministry) का नेतृत्व कर रहे थे तब अनुकूल नीति लाई गई थी और यह असंभव है कि उन्हें अपनी नाक के नीचे हो रहे घोटाले की जानकारी नहीं थी।