नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu Government) को निर्देश दिया कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को संगठन द्वारा सुझाई गई दो तारीखों में से किसी एक पर रूट मार्च (Route March) निकालने की अनुमति दे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने राज्य को प्रत्येक जिले में RSS द्वारा रूट मार्च की संख्या सीमित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
तमिलनाडु सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसमें पुलिस अधिकारियों को राज्य में RSS को रूट मार्च निकालने की अनुमति देने का निर्देश दिया गया था।
15 नवंबर तक मार्गों पर निर्णय लेने का भी निर्देश दिया
तमिलनाडु सरकार व शीर्ष अदालत के समक्ष इस बात पर सहमत हुई कि वह RSS को 19 या 26 नवंबर को राज्य भर के विभिन्न जिलों में मार्च आयोजित करने की अनुमति देगी।
पीठ ने RSS को प्रस्तावित मार्गों को तीन दिनों के भीतर अधिकारियों को सौंपने और राज्य को 15 नवंबर तक मार्गों पर निर्णय लेने का भी निर्देश दिया।
तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने अदालत को बताया कि आरएसएस ने पहले 22 और 29 अक्टूबर के लिए जो मार्ग प्रस्तावित किया था, उस रास्ते में कई मस्जिदें हैं।
यह कहते हुए कि सरकार कोई झड़प नहीं चाहती, क्योंकि समुदाय उन दिनों जश्न मनाएगा, सिब्बल ने कहा कि सरकार उन्हें कोई अन्य तारीख देने के लिए तैयार है।
मुकुल रोहतगी ने कहा….
राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने अदालत से कहा कि सरकार को प्रति जिले तीन रैलियों की अनुमति देने के बजाय प्रति जिले एक रैली की अनुमति देेेने, साथ ही उन्हें उनके द्वारा प्रस्तावित मार्ग में संशोधन करने की भी छूट दी जाए।
लेकिन पीठ ने कहा कि RSS पहले ही राज्य पुलिस द्वारा सुझाए गए मार्ग पर चलने के लिए सहमत हो गया है और प्रति जिले केवल एक रैली की अनुमति देना ‘बहुत अधिक लापरवाही’ होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) द्वारा पारित फैसलों के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिकाओं की स्थिरता पर सवाल उठाया था, जिसने RSS को राज्य में रूट मार्च आयोजित करने की अनुमति दी थी।
अदालत ने राज्य सरकार से यह बताने को कहा था कि उसने उच्च न्यायालय में उपलब्ध इंट्रा-कोर्ट दायर करना क्यों पसंद नहीं किया और शीर्ष अदालत के समक्ष दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) की विचारणीयता पर संदेह जताया।