रांची : झारखंड में 2024 की लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) की तैयारी भीतर ही भीतर आगे बढ़ रही है। यहां की 14 लोकसभा की सीटों में दुमका को हॉट सीट माना जाता है। इसे झामुमो की परंपरागत सीट माना जाता है।
गौरतलब है कि झामुमो सुप्रीमो दिशोम गुरु कहे जाने वाले शिबू सोरेन (Shibu Soren) 1980 से 2014 तक यहां से 8 बार चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं। 2019 में शिबू सोरेन के राजनीतिक शिष्य रहे सुनील सोरेन ने उन्हें हरा दिया था। अब वह लोग राज्यसभा के सदस्य हैं।
जीत-हार की वास्तविकता
दुमका लोकसभा सीट में पहली बार 1980 में शिबू सोरेन को पहली बार जीत हासिल हुई थी। 1984 में कांग्रेस के पृथ्वी चंद किस्कू और 1998 में भाजपा के बाबूलाल मरांडी को छोड़कर शिबू सोरेन को यहां कोई हरा नहीं पाया। इसके बाद 2002 से दोबारा चल रहे शिबू सोरेन के विजय रथ को 2019 में भाजपा के सुनील सोरेन ने रोक दिया था।
इस बार अपने पाले में यह सीट करना चाहेगी झामुमो
अब 2024 में झामुमो अपनी सीट अपने पाले में करने के लिए हर कोशिश कर रही है। झामुमो इस बार दुमका में उटलफेर भी कर सकता है। शिबू सोरेन की अस्वस्थता को देखते हुए इस बार झामुमो वहां उम्मीदवार बदल सकता है।
चर्चा है कि झामुमो का कैंडिडेट सोरेन परिवार से ही होगा। झामुमो सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के चुनाव लड़ने की संभावना ज्यादा है।
भजपा में उम्मीदवारी की संभावना
भाजपा से सीटिंग सांसद सुनील सोरेन, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व मंत्री लुइस मरांडी और जिला अध्यक्ष परितोष सोरेन का नाम लिया जा रहा है।
1998 तक दुमका लोकसभा सीट से शिबू सोरेन लगातार चुनाव जीते थे, लेकिन 1998 और 99 में भाजपा के बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने उन्हें हराकर संथाल में झामुमो के किले को कमजोर कर दिया। शिबू सोरेन जहां पहले भारी वोटों से चुनाव जीतते थे, वहीं 2009 के बाद जीत का मार्जिन सिर्फ 3 या 4 फीसदी ही रहा।
वोटों का समीकरण
दुमका में 40 फीसदी आदिवासी, 8 फीसदी अनुसूचित जाति और 12 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। 92.78 फीसदी ग्रामीण मतदाताओं के वोट निर्णायक होते हैं।
दुमका लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 6 विधानसभा क्षेत्रों (Assembly Constituencies) में से 4 सीटों (नाला, दुमका, जामा और शिकारीपाड़ा) में झामुमो के विधायक हैं। जामताड़ा में झामुमो की सहयोगी कांग्रेस का कब्जा है. सिर्फ एक सीट सारठ भाजपा के कब्जे में है।