रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में विधानसभा में नियुक्ति मामले में हुई गड़बड़ी (Appointment matter Mistake ) को लेकर शिव शंकर शर्मा जनहित याचिका की सुनवाई गुरुवार को हुई।
मामले में महाधिवक्ता राजीव रंजन (Rajeev Ranjan) ने कोर्ट को बताया कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद कमीशन की रिपोर्ट एसजे मुखोपाध्याय आयोग से राज्य सरकार को मिल चुकी है, अब आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इस पर चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सात दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट पर राज्य सरकार की कार्रवाई के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
सुनवाई के दौरान विधानसभा के सचिव की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने हस्तक्षेप याचिका (आईए) दाखिल कर बताया गया कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग (SJ Mukhopadhyay Commission) से मांगा गया है लेकिन यह रिपोर्ट अब तक विधानसभा के पास नहीं पहुंची है। मामले की अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी।
गलत तरीके से चयनित होने वाले अधिकारी सेवानिवृत हो जाएंगे
पूर्व की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि विधानसभा में गलत तरीके से नियुक्त अधिकारियों की प्रोन्नति के लिए आयोग से सुझाव मांगा गया है। सरकार की मंशा विधानसभा में गलत रूप से चयनित अधिकारियों को बचाने की है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि मामले की जांच को लेकर पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमिशन बनी थी, जिसने मामले की जांच कर राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंपी थी।
रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को एक्शन लेने का निर्देश दिया था लेकिन वर्ष 2021 के बाद से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
राज्यपाल के दिशा निर्देश के बावजूद भी विधानसभा अध्यक्ष (Assembly Speaker) द्वारा इस मामले को लंबा खींचा जा रहा है। मामले में देरी होने से गलत तरीके से चयनित होने वाले अधिकारी सेवानिवृत हो जाएंगे।