Child Trafficking: बिहार में बच्चियों के गायब (Girls Missing) होने की तादाद बढ़ती ही जा रही है। रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर पुलिस प्रशासन की सतर्कता के कारण इसमें कुछ कमी जरूर आई है।
लेकिन, अभी भी स्टेशन से लगातार ऐसे बच्चे बरामद किए जा रहे हैं। जानकर बताते हैं कि इस धंधे से जुड़े लोग सक्रिय हैं। रोहतास (Rohtas) से ऐसे कई मामले हैं जहां नाबालिग लड़कियों (Minor Girls) की खरीद-बिक्री तक की गई।
राज्य से आठ माह में 5958 बच्चे गायब हो हुए उसमें भी 85 % संख्या लड़कियों की हैं। ये आंकड़े बाल तस्करी (Child Trafficking) से लेकर उन्हें अनैतिक अड्डे (Immoral Dens) तक पहुंचाने की खतरनाक मंशा (Dangerous Intentions) का भी संकेत देते हैं।
ऐसे मामले सामने आ भी चुके हैं। यह एक बड़ा प्रश्न है कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चे गायब हैं, लेकिन उनका अता-पता नहीं। पुलिस ने 2,799 बच्चों को बरामद करने में सफलता जरूर प्राप्त की है, पर अन्य का पता नहीं चल पाया है।
बड़ी संख्या में बाल तस्करी
पुलिस मुख्यालय (Police Headquarters) की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां से बच्चों को काम के नाम पर बाहर (Bihar) ले जाया जाता है, इनमें कई का पता भी नहीं चलता।
विशेष रूप से मगध प्रमंडल क्षेत्र से चूड़ी फैक्ट्री (Bangle Factory) में काम कराने को बड़ी संख्या में बच्चे ले जाए जाते हैं। मीडिया ने इसको लेकर अभियान भी चलाया था और बड़ी संख्या में बच्चे मुक्त कराए गए थे।
अब Railway Station व Bus Stand पर पुलिस प्रशासन (Police Administration) की सतर्कता के कारण इसमें कमी आई है, लेकिन अभी भी स्टेशन से ऐसे बच्चे बरामद किए जा रहे हैं।
इससे पता चलता है कि इस धंधे से जुड़े लोग सक्रिय हैं। वहीं, Rohtas से ऐसे कई मामले हैं, जहां नाबालिग लड़कियों (Minor Girls) की खरीद-बिक्री तक की गई।
जनवरी से अगस्त तक 5958 बच्चे गायब
आधिकारिक आंकड़ों पर गौर करें तो कितने ही मामले हैं, जो पुलिस तक पहुंच ही नहीं पाते। जो पहुंचे, उसमें कार्रवाई की गति बहुत तेज नहीं कही जा सकती है।
मुख्यालय के ADG जितेंद्र सिंह गंगवार (Jitendra Singh Gangwar) ने बताया है कि इस वर्ष जनवरी से अगस्त तक 5958 बच्चे गायब हुए हैं। पुलिस इसकी समीक्षा कर रही है कि किस क्षेत्र में और किन परिस्थितयों में ये बच्चे गायब हुए हैं, ताकि उस अनुरूप कार्रवाई की जा सके।
बच्चों की सुरक्षा को लेकर चाइल्ड इंडिया फाउंडेशन (Child India Foundation) और केंद्रीय महिला (Central Lady) एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Child Development) द्वारा चाइल्डलाइन सेवा (Childline Service) का संचालन किया जा रहा है।
बच्चों के मामले में थाना स्तर पर त्वरित गंभीरता नहीं बरते जाने के कारण ही असामाजिक (Antisocial) और आपराधिक तत्व (Criminal Element) अपनी मंशा में सफल हो जाते हैं। करीब पांच साल पहले गया के डेल्हा थाना क्षेत्र (Delha Police Station) में तीन बच्चे एक साथ शाम में गायब हो गए।
एक बच्ची की हत्या…
स्वजनों ने खोजबीन के बाद पुलिस को सूचना दी, लेकिन इसे बहुत हल्के में लिया गया। न तो मामला अंकित हुआ, न ही पुलिस ने छानबीन की।
सुबह पता चला कि उसमें एक बच्ची की हत्या (Murder) की जा चुकी थी और दो बच्चों को गंभीर रूप में सड़क किनारे ठंड में फेंक दिया गया था। स्पष्ट था कि तीनों का अपहरण किया गया था, सुबह हंगामे के बाद वरीय अधिकारियों के संज्ञान में यह मामला आया।