हजारीबाग : शनिवार को दिन के 11 बजे के करीब गुजरात के भुज से वायुसैनिक लीडिंग एयरक्राफ्ट (LAC) योगेश कुमार का पार्थिव शरीर (Yogesh Kumar’s Body) उनके गांव मेरू पहुंचा।
शुक्रवार की रात हजारीबाग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (HMCH) की मॉर्चरी में शव रखा गया था। बताया जाता है कि योगेश ने बुधवार को अपने माता-पिता और परिजनों से मोबाइल पर बात की थी।
लेकिन दूसरे दिन उनकी मौत की सूचना आ गयी। ऐसी स्थिति में परिजन हक्का बक्का रह गए। क्या करें क्या न करें उन्हें समझ भी नहीं आ रहा था। सभी परिजन उसकी मौत की खबर सुनकर गमगीन हो गए।
दुर्गापुर के पानागढ़ की एयरफोर्स की टीम के यहां पहुंचने के बाद सुबह 10.00 बजे शव यात्रा HMCH से मेरू गांव के लिए निकली। यहां सदर विधायक मनीष जायसवाल ने जवान को श्रद्धांजलि दी।
इससे पहले पिछले 48 घंटे से अपने लाल योगेश के शव की प्रतीक्षा कर रहे लोग अंतिम दर्शन को उमड़ पड़े। युवाओं की टोली हाथ में तिरंगा लेकर भारत माता की जय और योगेश कुमार अमर रहे के गगन भेदी नारों के बीच लेकर आगे आगे चल रहे थे।
मेरू पहुंचने से पहले पानागढ़ की वायुसेना से आए जवान भी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। इधर मेरू के एयरफोर्स जवान योगेश कुमार का पार्थिव शरीर शनिवार को घर पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया। महिलाएं जोर-जोर से रोने लगीं।
मेरू और आसपास गांव से सैकड़ों की संख्या में लोग गए
कोई बगल की छत पर चढ़ा था तो कोई दीवार पर। सभी इस लम्हें को अपनी आंखो से देखने को आतुर थे। सभी उसकी एक झलक पाने के लिए आतुर थे।
इधर एयफोर्स के जवानों ने पिता रामजीत महतो को तिरंगा और टोपी सौंपी। पिता ने भावुक मन से ग्रहण किया। बीच-बीच में योगेश अमर रहे के नारे गूंजते रहे। नारे लगाते हुए लोगों की आंखों नम हो जा रही थी। लोगों ने नम आंखों से जवान के शव को अंतिम विदाई दी।
मेरू श्मशान घाट में तोपों की सलामी के साथ दाह संस्कार किया गया। पिता रामजीत महतो ने बेटे को मुखाग्नि दी। विदित हो कि योगेश की मौत 15-16 नंवबर की देर रात्रि 2.30 बजे गोली लगने से होने की बात कही गयी थी।
हालांकि गोली कैसे लगी इसपर किसी ने जानकारी नहीं दी। घरवालों को उनके बेटे की मौत की सूचना गुरुवार को दी गई थी। सूचना मिलते ही घर वालों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था।
योगेश ने 2021 में एयरफोर्स (Air force) ज्वाइन किया था। वर्तमान में गुजरात के भुज में कार्यरत था। जहां से उसकी पोस्टिंग भी होने वाली थी। पार्थिव शरीर को लाने के लिए मेरू और आसपास गांव से सैकड़ों की संख्या में लोग गए।