Uttarkashi Tunnel : उत्तरकाशी की एक सुरंग (Uttarkashi Tunnel) में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए अमेरिका से मशीन बुलाई गई थी। उम्मीद थी इस मशीन से जल्द की श्रमिकों को बाहर निकाला जा सकेगा।
लेकिन इस विदेशी मशीन में खराबी के चलते कामयाबी नहीं मिल पाई। इसके बाद इंदौर से बुलाई गई ड्रिल मशीन से पहाड़ को ऊपर से खोदा जा रहा है। सभी 41 मजदूरों को बचाने के लिए चलाए जा रहे Rescue को आज आठ वां दिन है।
वर्टिकल ड्रिलिंग करके सुरंग में उतरने की कोशिश की जाएगी
उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए आठवें दिन सुरंग के ऊपर एक महा मिशन शुरू हुआ है। 4.5 किलोमीटर लंबी सिल्क्यारा से डांडागांव सुरंग में बचावकर्मी संकटग्रस्त (Trouble Rescue Workers) लोगों को अधिक टिकाऊ भोजन की आपूर्ति लगातार कर रहे हैं।
शनिवार शाम से मल्टी डाइमेंशनल अप्रोच के जरिए यहां बड़ी संख्या में वर्कफोर्स को तैनात किया गया है। सीमा सड़क संगठन की ओर से सैंकड़ों की संख्या में मजदूर पहाड़ पर भेजे जा रहे हैं।
बड़ी-बड़ी मशीन पहले से ही पहाड़ को काट कर रास्ता तैयार कर रही हैं जहां से वर्टिकल ड्रिलिंग (Vertical Drilling) करके सुरंग में उतरने की कोशिश की जाएगी। सुरंग के मुहाने पर सेफ्टी ब्लॉक लगाकर काम कर रहे मजदूरों के लिए इमरजेंसी एस्केप रूट भी बनाया जा रहा है। बीती रात बड़ी संख्या में सीमा सड़क संगठन और दूसरी एजेंसियों की ओर से लॉजिस्टिक सपोर्ट पहुंचाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के विशेष अधिकारी के साथ साथ उत्तराखंड सरकार में ओएसडी भास्कर खुल्बे ने उत्तरकाशी में डेरा डाला है जो लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं। यहां आरओ की टीम हर लाजिस्टिक्स पहुंचा रही है।
वहीं सरकार ने श्रमिकों को बचाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर चर्चा करने के वास्ते शनिवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें विभिन्न एजेंसी को विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गईं।
बैठक में तकनीकी सलाह के आधार पर पांच बचाव विकल्पों पर विचार किया गया। सुरंग हादसे पर पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया, ..पूरे क्षेत्र की ताकत को इस स्तर तक बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
सूत्रों ने कहा…
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘NHIDCL (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड), ONGC (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम), SJVNL (सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड), THDC और RVNL को एक-एक जिम्मेदारी दी गई है। बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में सहायता कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि NHIDCL के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसी के साथ समन्वय का प्रभारी बनाया गया है और उन्हें सिलक्यारा में तैनात किया गया है।
मलबे के बीच एक पाइप बिछाने का निर्णय लिया गया क्योंकि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार यह श्रमिकों को बचाने का सबसे अच्छा और सबसे तेज संभव समाधान था।
सूत्रों ने कहा कि UK जल निगम के पास उपलब्ध ऑगर (ड्रिलिंग) मशीन की मदद से पाइप बिछाने के शुरुआती प्रयास के बाद अमेरिका निर्मित एक बड़ी ऑगर मशीन लाने का निर्णय लिया गया, जिसे भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने दिल्ली से हवाई मार्ग से पहुंचाया।